साइकिल से हज़ारों किलोमीटर हौसले की उड़ान भर रहे हैं नीरज, 15 दिनों में पूरी करेंगे नर्मदा परिक्रमा

10/31/2020 7:41:54 PM

जबलपुर(विवेक तिवारी): वे फिटनेस फ्रीक हैं, अभी उम्र 54 वर्ष है, पिछले 5 वर्ष से साइकिलिंग का जुनून है और इसके चलते उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक का पूरा भारत साईकल से नाप चुके हैं। अपनी ट्रेक्स माउंटेन बाइक साईकल पर जब वे सवार होते हैं तो उनके हौसले की उड़ान सूर्यास्त होने के पहले दिन भर में 200 किलोमीटर का रास्ता तय कर चुकी होती हैं। वे बताते हैं कि दिन भर में 200 किलोमीटर की दूरी आराम से तय हो जाती है। इन दिनों 15 दिनों में साईकल से नर्मदा मां की परिक्रमा करने का लक्ष्य तय कर ओंकारेश्वर से निकले, अपनी परिक्रमा यात्रा के नौवें दिन जबलपुर पहुंचे और थोड़ा रुक के सुबह जबलपुर से अगले पड़ाव यानी कि शहडोल तक पहुंचने का लक्ष्य बनाकर निकले नीरज याग्निक ने बताया कि उन्हें फिट रहने की चाह है। इंदौर के इस व्यवसायी में साइकिलिंग में नए-नए रिकॉर्ड बनाने का जुनून,राष्ट्रभक्ति की भावना और आम जनमानस को स्वस्थ रहने का संदेश देने के लिए हमेशा कुछ नया कर गुजरने की इच्छा किस तरह कूट कूट कर भरी हुई है। वे साइकिलिंग में सुपर रेनडोनियर की उपलब्धि हासिल कर चुके हैं और अभी और आगे जाने के लिए जुटे हैं। सही मायने में नीरज याग्निक साईकल के पहियों पर हौसलों की उड़ान भरते हुए वह रच रहे हैं जिसे हम अद्भुत, अपूर्व इतिहास कह सकते हैं।

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अपने बारे में पूछे जाने पर वे बताते हैं कि फिटनेस को लेकर वे शुरू से ही जुनूनी थे और एक धावक के रूप में अपनी अलग पहचान बना चुके थे। खानपान को लेकर युवावस्था से ही अत्यंत संयत रहने वाले नीरज ने जॉगिंग ट्रैक से रनिंग करते हुए अनायास ही साईकल का हैंडल थाम लिया। शुरू में थोड़ी दूरी से शुरू हुई उनकी साईकल यात्रा कब 200 किलोमीटर प्रतिदिन से ज्यादा की दूरी में बदलती चली गई यह उनके निकटजनों को भी तभी समझ आया जब बहुत थोड़े समय में उन्होंने रिकॉर्ड कायम करने शुरू कर दिए। उनकी झोली दिन प्रतिदिन मैडल्स से भरती चली गई। पहले तो नीरज सूर्यास्त के बाद भी अपनी साईकल यात्रा जारी रखते हैं परंतु मां नर्मदा की परिक्रमा सूर्यास्त के बाद नहीं की जाती इसलिए वर्तमान में उनकी साईकल के पहिये भी सूर्य अस्त होने के बाद थम जाते हैं और दिन में यह निर्णय कर लिया जाता है कि आज रात्रि विश्राम किस शहर या कस्बे में करना है ।

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दिन भर में साईकल चलाते हुए या कुछेक मिनट के लिए रुककर नीरज एक दो बार चाय, हल्का आहार और प्रोटीन ड्रिंक लेते हैं। क्योंकि सात घंटे की नींद लेकर उन्हें भोर के पहले अगले पड़ाव के लिए निकलना होता है इसलिए इन दिनों शाम को छह ,साढ़े छह के बीच आवश्यक भोजन लेकर रात्रि 8 बजे तक बिस्तर पर चले जाते हैं। नीरज याग्निक के साथ एक चौपहिया वाहन में उनकी साईकल के पीछे चल रहे उनके मित्र दिलीप सिंह कहते हैं  कि नीरज भाई की साईकल 20 से 25 किलोमीटर की गति से चलती है और कई बार हल्की फुल्की चोटें लगने के बाद भी वे साइकिलिंग जारी रखते हैं। शाम को जब यात्रा थमती है तो चिकित्सक की सलाह से कुछ दर्दनिवारक लेने के बाद अगली सुबह वे फिर से पूरे जोशों खरोश के साथ तय मंजिल की तरफ कूच करने तैयार रहते हैं।

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जब नीरज याग्निक से उनकी पूर्ववर्ती साईकल यात्राओं के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष उन्होंने 21 दिन में कश्मीर से कन्याकुमारी की साईकल यात्रा मात्र 21 दिन में पूरी कर ली थी। इस यात्रा की शुरुआत नीरज ने  2019 की सर्दी के मौसम में धारा 370 हटने के बाद श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराकर की थी। वहीं यात्रा के दौरान कोई सुरक्षा व्यवस्था की मांग भी नहीं की थी। इसी तरह वे द्वारका से डिब्रूगढ़ की साढ़े तीन हज़ार किलोमीटर की दूरी अपनी साईकल से इसी वर्ष मार्च में मात्र 16 दिनों में नाप चुके हैं। अयोध्या में शिलापूजन कार्यक्रम के लिए नीरज याग्निक मात्र 60 घंटों में इंदौर से अयोध्या तक साईकल चलाते हुए पहुंच गए थे। इस दौरान उन्होंने लगभग 35 घंटों तक लगातार साईकल चलाते हुए इंदौर से कानपुर की दूरी तय की थी। वे अपने साथ इंदौरवासियों की ओर से 11 किलो वजन की रजत शिला भी ले गए थे।

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नीरज बताते हैं कि जब वे सुबह साईकल से निकलते हैं तो दोपहर होने के पहले 11 बजे दिन तक 100 किलोमीटर की दूरी लगातार चलते रहने के कारण पूरी हो जाती है फिर अगले पांच घंटे में वे 100 किलोमीटर की दूरी और तय कर लेते हैं। इस समय ज्यादातर कच्ची सड़क पर साईकल चलाने के कारण उनके पैरों के ऊपरी हिस्से में जख्म उभर आये हैं लेकिन इससे उनका हौसला बिल्कुल भी नहीं डिगा है। साईकलिंग के क्षेत्र में सुपर रेनडोनियर का खिताब हासिल करना आसान नहीं है। यह उसे ही मिलता है जिस साइकिलिस्ट ने एक साल में 200 ,400,600 किलोमीटर अलग -अलग चरण में साईकल चलाने का कारनामा किया हो और नीरज याग्निक दो साल में चार बार अपने हौसले, जुनून और लगन की बदौलत इस कारनामे को अंजाम दे चुके हैं। पूर्णतः शाकाहारी नीरज का कहना है कि युवा पीढ़ी को अपनी फिटनेस पर ध्यान देना  चाहिए। परिस्थितियों से विचलित नहीं होते हुए राष्ट्र के विकास में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। वे यह भी कहते हैं कि जबलपुर को जोड़ने वाले सड़क मार्गों की हालत ठीक नहीं है और जबलपुर का वांछित विकास नहीं हो सका लगता है, परंतु इस शहर की विशेष पहचान है। यहां के निवासी सौजन्यता से भरे-पूरे हैं। वास्तव में नीरज याग्निक जैसे लोग युवाओं के सही के हीरो होना चाहिए।


 


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meena

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