gwalior nagar nigam election 2022: कांग्रेस के लिए आसान नहीं नगर सरकार चलाना, कांटों का ताज है ग्वालियर नगर निगम

7/20/2022 6:27:58 PM

ग्वालियर (अंकुर जैन): ग्वालियर नगर निगम (gwalior nagar nigam) में 57 साल बाद  जीत का परचम लहराकर कांग्रेस (congress) ने एक बार न केवल बीजेपी (bjp) को कड़ी चुनौती दी है। वहीं अपने पुराने क्षत्रप ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya scindia) के सामने में भी अपनी नयी पहचान देकर यह दावा खंडित कर दिया है कि सिंधिया (scindia) ही यहां कांग्रेस थे। उनके जाते ही कांग्रेस खत्म हो गयी। कांग्रेस प्रत्याशी शोभा सिकरवार (sobha sikarwar) ने रविवार को अपनी ऐतिहासिक जीत का प्रमाण दिया। यह खबर कांग्रेस के लोगों को उत्साह से भर सकती है। लेकिन परिणामों ने संकेत दिए हैं कि शोभा और कांग्रेस की नगर सरकार (city government) की आगे की राह कांटों का ताज है। 

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परिषद में अभी भी बीजेपी की सरकार 

कांग्रेस की शोभा सिकरवार ने 28 हजार से भी ज्यादा मतों के अंतर से बीजेपी प्रत्याशी सुमन शर्मा (suman sharma) को हराकर एक इतिहास रचा है। जीत के बाद उन्होंने चयन के लिए कमलनाथ (kamalnath) और निर्वाचन के लिए जनता के प्रति धन्यवाद दिया और भरोसा दिलाया कि वह शहर के विकास के लिए हर प्रयास करेंगी। लेकिन यह प्रयास करना उतना ही कठिन है जितना उनके लिए बीजेपी के इस अभेद्य गढ़ में हराना था। हालांकि उन्होंने वहां तो बीजेपी को हरा दिया लेकिन अब असली जंग के लिए उन्हें तैयार होना पडेगा और वह है परिषद् के भीतर बीजेपी का बहुमत होना।

परिषद में कांग्रेस के पास बहुमत का आभाव 

हालांकि कांग्रेस (congress) ने पिछली बार की तुलना में 16 सीटें ज्यादा जीती है। पिछली बार उसके खाते में महज 10 परिषद थे, जो अब बढ़कर 26 हो गए हैं। लेकिन अभी भी वह परिषद् में बहुमत के आंकड़े से बहुत दूर है। बहुमत के लिए उसे कम से कम 36 सदस्य चाहिए। जबकि बीजेपी ने इस बार चुनाव में बहुत खोया है। पिछली बार उसके 45 पार्षद जीते थे। लेकिन इस बार उसके 11 सदस्य कम हो गए। उसके 34 पार्षद जीते हैं। परिषद् में यही बहुमत का आंकड़ा है। यानी में परिषद् में बीजेपी के पास पूर्ण बहुमत हैं। 

सभापति का चुनाव सबसे बड़ी चुनौती 

कांग्रेस और मेयर शोभा सिकरवार के सामने पहली चुनौती अपना सभापति बनवाना है। कांग्रेस के सभापति के निर्वाचन के लिए कम से काम 34 सदस्य जुटाना होंगे जो बड़ी चुनौती है। अगर सभी निर्दलीय उसे समर्थन करें तब भी उसे काम से काम दो वोटों की दरकार होगी, जो बीजेपी से ही तोड़कर लाना होंगे। क्योंकि निर्दलीय मिलकर उसके पास महज 32 वोट होते हैं, जो जीत के आंकड़े से 2 कम हैं। 

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MIC और परिषद में रहेगी टकराव  

यदि कांग्रेस अपना सहमति नहीं बना पाई तो सभापति कांग्रेस का होगा। ऐसी स्थिति में मेयर और कांग्रेस परिषदों की बैठकों का संचालन अपने मन माफिक नहीं कर सकेगी। इसी तरह मेयर इन काउन्सिल (MIC) से स्वीकृत होकर आने वाले प्रस्तावों को परिषद् से मंजूरी मिलने में बीजेपी पार्षद दिक्कतें करेंगे। बहुमत का फायदा उठाकर वह प्रस्ताव गिरा सकते है। इससे विकास कार्यों में बाधा उत्पन्न होंगे।

होगा जनता के विकास कार्यों को नुकसान

ग्वालियर नगर निगम कमिश्नर रहे विनोद शर्मा भी मानते हैं कि ऐसी स्थिति में परिषद् चलाने में दिक्कत तो आएगी ही, क्योंकि यह विरोधाभाषी स्थिति है। इससे जनित के मुद्दे भी अटकेंगे और शासन से मिलने वाले अनुदान में भी कमी आ सकती है। 

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योजनाओं के लिए कम मिलेगा पैसा 

विशेषज्ञों का कहना है कि मध्य प्रदेश में बीजेपी और नगर निगम में कांग्रेस की महापौर होने से योजनाओं के श्रेय लेने की होड़ मचेगी। विकास कार्य और योजना का श्रेय कांग्रेस या मेयर न ले ले, इसलिए केंद्र और राज्य सरकारें यहां के लिए योजनाएं कम स्वीकृत करेगी। वहीँ येन केन मामले में ऐसी शर्तें थोपेगी जिससे महापौर और मेयर इन काउन्सिल को इन योजनाओं का रिब्यू करने के अधिकार कम से कम हो।

 

 


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News Editor

Devendra Singh

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