कोरोना ने छीनी मां की ममता और पिता का साया, तो जिंदगी के हमराह बने मुख्यमंत्री शिवराज

6/11/2021 2:29:37 PM

खंडवा(निशात सिद्दीकी): कोरोना की दूसरी लहर ने हजारों लोगों की जिंदगी छीन ली। कोरोना के इस दूसरे दौर में कुछ ऐसे बच्चे भी थे जिनके सिर से ना केवल पिता का साया बल्कि मां की ममता का आंचल भी छूट गया। पढ़ाई लिखाई तो दूर रोजी रोटी का भी संकट था लेकिन ऐसी दुख की घड़ी में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ना केवल पिता का साया बनकर आगे आये है बल्कि मां की ममता का आंचल बनकर इनके आंसू पोंछते नजर आ रहे है। देखें खंडवा के ओम और साईं का कैसे सहारा बने मुख्यमंत्री शिवराज।

PunjabKesari

छह साल का ओम और 9 साल की साईं अप्रैल महीने तक अपने पिता के साए और मां की ममता के दुलार में पल बढ़ रहे थे लेकिन अप्रैल में कोरोना के दूसरे दौर में पिता दिलीप उमरिया और माता संगीत उमरिया को हमेशा हमेशा के लिए इन दो मासूमों से छीन लिया। मोबाइल में अठखेलियां खेल रहा ओम शायद अभी भी नहीं समझ रहा होगा तो उसके पिता हमेशा के लिए अब उससे दूर चले गए हैं, साईं भी अपनी नानी की ममता के आंचल में कहीं दुलार ढूंढ रही होगी लेकिन अब शायद ही उसको उस मां की ममता का प्यार मिले जो उसे हर घड़ी हर दम बेटी-बेटी कहकर सब प्यार दिया करती थी।

PunjabKesari

अप्रैल महीने में पहले दिलीप और 6 दिन बाद ही संगीता भी हमेशा हमेशा के लिए कोरोना के चलते इस दुनिया से विदा हो गई। प्रशासन ने उन्हें मृत्यु प्रमाण पत्र तो दिए लेकिन उसमें कहीं पर भी कोरोना का कारण  तक नहीं लिखा था। ऐसे में इन्हें किसी से मदद की उम्मीद भी नहीं थी। ओम और साईं की नानी और मामी उन्हें पिता की यादों से कहीं दूर ले जाने की कोशिश तो कर रहे थे लेकिन उनके सामने थी बहुत बड़ी समस्या थी कि इनका लालन पोषण कैसे होगा?

PunjabKesari

मध्य प्रदेश शासन के द्वारा हाल ही में घोषणा की गई है कि कोरोना महामारी संकट के दौरान जिन ब जिन लोगों की मौत हुई है उनके अनाथ बच्चों को बालिग होने तक ₹5000 प्रतिमाह सरकार देगी यही नहीं उनके किसी भी स्कूल में पढ़ाई का पूरा खर्च और प्रतिमाह 5 किलो राशन भी उनको दिया जाएगा। खंडवा के संयुक्त कलेक्टर प्रमोद कुमार पांडे गुरुवार को कोरोना काल में माता पिता का साया खो चुके ओम और साईं के घर पहुंचे अपनी टीम के साथ उन्होंने ओम और साईं से हाल-चाल पूछे । 9 साल की साईं कक्षा चौथी में पढ़ती है जबकि ओम अभी कक्षा पहली में ही पड़ता है।

PunjabKesari

दोनों के लिए उन्होंने निजी स्कूल में आरटीई के तहत प्रवेश दिलाने की बात कही तथा उनके बैंक खाते खुलवा कर उनके खाते में प्रति महीने ₹5-5 हजार दोनों को भेजने की बात भी कही। अनाथ बच्चों के लिए सरकार ने सहारा बनकर ना केवल उनको नई जिंदगी देने का प्रयास किया है बल्कि महामारी के इस दौर में पूरे देश में एक अलग मिसाल भी कायम की है। महामारी में माता पिता को खो चुके इन बच्चों को सरकार के इस दुलार की इस वक्त सख्त जरूरत थी।

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

meena

Recommended News

Related News