डिजिटल इंडिया के समय में भी जंगली जीवन जीने को मजबूर हैं इस गांव के लोग

7/15/2018 1:47:55 PM

छतरपुर : प्रदेश सरकार भले ही विकास के तमाम दावे करें लेकिन छतरपुर जिले में आज भी ऐसे गांव हैं जो सड़क और बिजली जैसी मूलभूत आवश्यकताओं से लोग जूझ रहे हैं। शाम होते ही जहां इन ग्रामीणों की जिंदगी में अंधेरा छा जाता है। वही गांव तक कोई भी सड़क न होने से भी ग्रामीण खासे परेशान हैं। छतरपुर जिले के नाहरपुर पंचायत के बरुआ गांव की आबादी लगभग 8 सौ है और सिमरिया पंचायत के दशरथ पुरवा गांव जहां की आबादी लगभग एक हजार है। इन दोनों गांवों में आजादी के 70 साल बाद भी ना तो आज तक बिजली पहुंच पाई है और न ही ग्रामीणों को सड़क नसीब हुई है। आलम यह है कि शाम होते ही यहां की ग्रामीण जंगली जीवन जीने को मजबूर हो जाते हैं बिजली और उससे जुड़ी हुई तमाम सुख-सुविधाएं जैसे इनके लिए एक सपना हैं।

डिजिटल इंडिया और शाइनिंग इंडिया के जमाने में छतरपुर के यह गांव आज भी कई दशक पीछे दिखाई देते हैं.यहां के बच्चों की पढ़ाई लगभग चौपट है क्योंकि इन गांव में लोगों को केरोसिन भी नहीं मिलता है. इसके चलते बच्चे शाम होने के बाद अपनी पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। कहीं किसी के घर में थोड़ा केरोसिन हुआ, तो मोहल्ले के बच्चे झुंड बनाकर दिया जला उसकी रोशनी में अपनी पढ़ाई करते हैं। यहां के ग्रामीणों की माने तो कोई भी उनकी सुनने वाला नहीं स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर हर किसी को वह अपनी बेबसी बयां कर चुके हैं लेकिन सरकारी विकास के सिस्टम की गाड़ी अभी तक इन गांवों तक नहीं पहुंची है। 

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