बजट से पहले शिवराज सरकार को घेरने की तैयारी, जयवर्धन सिंह बोले- CM चलते फिरते घोषणाएं करते रहते हैं

2/28/2023 7:25:12 PM

ग्वालियर(अंकुर जैन): कल यानी 1 मार्च को शिवराज सरकार पहली बार विधानसभा में पेपर लेस बजट पेश करने जा रही है। बजट से पहले विपक्ष भाजपा सरकार को घेरने की तैयारी में है। इसी कड़ी में कांग्रेस प्रदेश कार्यालय में मंत्री जयवर्धन सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें उन्होंने कहा कि मप्र में कल प्रदेश का बजट घोषित किया जायेगा, नई योजनाएं और वादों का ढिढोंरा पीटा जाएगा, तब हमने बीते वर्ष 2021-22 के बजट के एप्रोपिएशन अकाउंट, जिसका मूल्यांकन केग ने 6 दिसंबर 2022 को किया है, का अध्ययन किया तथा केंद्र प्रायोजित योजनाएं जिससे प्रदेश का समावेशी विकास सुनिश्चित होता है का मूल्यांकन किया, तब भाजपा सरकार के तथाकथित विकास की ढोल की पोल खुल गई।

मप्र की भाजपा सरकार ने प्रदेश के विकास के लिए अपने बजट में (सप्लीमेंट्री सहित) 2 लाख 82 हजार 779.6 करोड़ रूपये से प्रदेश के विकास का ढिंढ़ोरा पीटा था। रास्ते चलते शिवराज जी झूठी घोषणाएं करते थे और वक्त-बे-वक्त योजनाओं के नारियल फोड़ देते थे। मगर केग के विनियोग लेखा में चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इस उपरोक्त बजट में से शिवराज सरकार ने 2021-22 में 39 हजार 786.2 करोड़ रू. खर्च ही नहीं किये, जिसमें से रेवेन्यु अकाउंट के हिस्से में 23 हजार 2 करोड़ और केपिटल अकाउंट में 16 हजार 784 करोड़ रूपये खर्च ही नहीं किए। रेवेन्यु अकाउंट में इतनी बड़ी राशि खर्च नहीं करने का अर्थ यह हुआ कि गरीबों के विकास की योजनाओं पर सीधा आघात किया गया, साथ ही केपिटल अकाउंट में खर्च नहीं करने का अर्थ है कि प्रदेश की अधोसंरचना विकास के साथ धोखा किया गया। किसान कल्याण पशुपालन, मछली पालन डेयरी विभागां के लगभग 831 करोड़ रू. खर्च ही नहीं किए गए। इसी प्रकार स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के 961.24 करोड़ रू. खर्च ही नहीं किए। इसी प्रकार पीएचई के 1233.70 करोड़ रू. खर्च ही नहीं किए।

इसी प्रकार शहरी विकास और आवास मंत्रालय के 1161.56 करोड़ रु., जल संसाधन विभाग के 991.6 करोड़ रु., पीडब्ल्यूडी के 1133.23 करोड़ रु., स्कूली शिक्षा (प्रायमरी एज्युकेशन सहित) के 3784.53 करोड़ रु., ग्रामीण विकास के 1879.76 करोड़ रु., आदिवासी विकास विभाग के 2520.7 करोड़ रु., उच्च शिक्षा 900 करोड़ रु., अनुसूचित जाति विकास 312.5 करोड़ रु., आध्यात्मिक विभाग 77 करोड़ रु., महिला एवं बाल विकास विभाग 610.8 करोड़ रु. खर्च ही नहीं किए गए।

इसका आशय साफ है कि प्रदेश के किसानों, आदिवासी भाईयों, दलितों, पिछड़े वर्ग की महिलाओं, बच्चों सब के विकास के साथ कुठाराघात किया गया और प्रदेश के मुख्यमंत्री लगातार झूठी घोषणाएं करते रहे।

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