मप्र में ''''घटिया चावल’ के वितरण पर कांग्रेस, भाजपा के बीच वाकयुद्ध

9/2/2020 6:44:23 PM

भोपाल, दो सितम्बर (भाषा) मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने बुधवार को दावा किया कि केन्द्र सरकार की जांच में सामने आया है कि राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत लोगों को वितरित किया गया चावल मनुष्य के खाने योग्य नहीं था।
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि कोरोना वायरस संकट के दौरान पीडीएस दुकानों से वितरित किया गया चावल ‘घटिया’ था, जैसा कि केन्द्र की जांच में सामने आया है। वहीं दूसरी ओर भाजपा ने दावा किया कि यह चावल कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ख़रीदा गया था।
प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘मध्य प्रदेश में कोरोना महामारी में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत जिस चावल का वितरण किया गया वह मनुष्य के खाने के योग्य नहीं था, यह केन्द्र सरकार की जांच के उपरांत लिखे एक पत्र के माध्यम से सामने आया है। यह इंसानियत और मानवता को तार-तार करने के साथ ही एक आपराधिक कृत्य भी है।’’ एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘‘इसके दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो और सरकार इसके लिये प्रदेश की जनता से माफ़ी माँगे।’’ कांग्रेस के इस आरोप पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश भाजपा ने कहा कि बालाघाट और मंडला जिले में लोगों के उपभोग के लिये अयोग्य पाया गया चावल कांग्रेस के शासनकाल में ख़रीदा गया था।
प्रदेश भाजपा के मीडिया प्रभारी लोकेन्द्र पाराशर ने कमलनाथ के ट्वीट के जवाब में कहा, ‘‘मंडला, बालाघाट में केंद्र की जांच टीम ने जिस चावल को इंसानों के खाने लायक नहीं पाया है, वह चावल राज्य की पूववर्ती कमलनाथ सरकार ने खरीदा था। हमारी सरकार इस तरह के किसी कृत्य को बर्दाश्त नहीं करेगी और इसमें समुचित कार्रवाई की जा रही है। चाहे वे राजनेता हो या अधिकारी, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।’’ पाराशर ने कहा, ‘‘आपने कहा तो सही कि यह कृत्य मानवता को तार-तार करने वाला है। इसलिये आपकी सरकार के समय किए गए इस अमानवीय कृत्य पर कठोर कार्रवाई जरूर होगी। यह आपके नेतृत्व में हुआ था, मध्य प्रदेश की जनता से माफी मांगे।’’ कांग्रेस प्रवक्ता भूपेन्द्र गुप्ता ने बताया कि केन्द्रीय उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अधिकारियों ने मंडला और बालाघाट जिले के पीडीएस डिपो और दुकानों से 32 नमूने लिये थे और उनका केन्द्रीय अनाज विश्लेषण प्रयोगशाला (सीजीएएल) में परीक्षण किया।
गुप्ता ने कहा कि इन नमूनों को परीक्षण में मानव उपभोग के लिये अयोग्य पाया गया और इस संबंध में केन्द्र द्वारा अगस्त में राज्य सरकार को एक पत्र भेजा गया था। उन्होंने कहा कि इन नमूनों के परीक्षण में यह चावल ‘पोल्ट्री ग्रेड’ और मवेशियों के चारे के लिये उपयुक्त पाया गया।



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