कोविड-19 से मारे गए गैस पीड़ितों की संख्या कम करके बता रहा अस्पताल : भोपाल गैस पीडितों के संगठन

10/23/2020 9:18:42 PM

भोपाल, 23 अक्टूबर (भाषा) वर्ष 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के हित में काम करने वाले संगठनों ने आरोप लगाया है कि भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) के अधिकारी द्वारा जानबूझकर जिला और राज्य सरकार के संबंधित अधिकारियों को कोविड-19 बीमारी से मारे गये गैस पीड़ितों की संख्या कम करके बताई जा रही है।

गैस पीड़ितो के कई संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले ‘भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन’ की रचना ढींगरा ने शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा कि बीएमएचआरसी के आइसोलेशन वार्ड में कोविड- 19 की वजह से हुई सात गैस पीड़ितों की मौतों की अस्पताल द्वारा ना तो भोपाल जिला प्रशासन और ना ही मध्य प्रदेश सरकार एवं केंद्र सरकार के अधिकारियों को जानकारी दी गयी है|
संगठनों ने प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य, निदेशक गैस राहत और भोपाल के जिलाधिकारी को पत्र लिख कर मामले में अस्पताल के अधिकारियों के खिलाफ जांच और कार्रवाई की मांग की है।

ढींगरा ने कहा कि कोविड-19 से गैस पीड़ित सात मृतकों में से दो की मौत अगस्त में और पांच की मृत्यु सितम्बर 2020 में हुई थी और इनमें ज्यादातर मरीज पल्मोनरी (फेफड़े संबंधी बीमारी)विभाग के थे।
उन्होंने कहा कि ये सभी मौतें अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में हुई। इन सात मृतकों के नाम मध्यप्रदेश सरकार और जिला प्रशासन को भी नहीं दिए गए हैं। इसी की वजह से इन मृतकों की गिनती कोविड-19 के स्वास्थ्य बुलेटिन में भी नही हो पाई है।
हालांकि, भोपाल के मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) प्रभाकर तिवारी ने कहा कि संबंधित अधिकारी इन मौतों के बारे में जानकारी देते हैं तो इसे बुलेटिन में शामिल किया जायेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि जब भी विभाग इन मौतों की जांच के निर्देश देगा, इसकी जांच की जायेगी।

ढींगरा ने कहा कि 20 सितम्बर को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को उनके द्वारा संचालित अस्पताल बीएमएचआरसी के आइसोलेशन वार्ड में सितम्बर माह में आठ गैस पीड़ितों की मृत्यु होने की खबर भी हमने दी थी।

उन्होंने आरोप लगाया कि ये मौतें आइसोलेशन वार्ड में खराब व्यवस्था की कारण हुई क्योंकि इन मरीज़ों को देखने के लिए आइसोलेशन वार्ड में एक भी डॉक्टर की पूर्णकालिक ड्यूटी नहीं लगाई गई थी और आज भी वही हालात बरकरार है।

उन्होंने कहा कि ऐसी ही शिकायत उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित निगरानी समिति को भी सौंपी गई थी और उनके द्वारा जवाब मांगने पर भी बीएमएचआरसी द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया है।

गैस पीड़ितों के संगठनों ने यह भी मांग की है कि जिला प्रशासन इस बात की भी जांच कराए की कोरोना वायरस से संक्रमण की शुरुआत से लेकर अभी तक कोविड-19 पीड़ित कितने गैस पीड़ितों की मृत्यु अस्पताल में हुई है और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाये।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 संक्रमण का असर सामान्य आबादी के मुकाबले गैस पीड़ितों में कई गुना ज्यादा है। सबसे बड़ी विडम्बना है की जो अस्पताल सिर्फ गैस पीड़ितों को सही इलाज देने की उद्देश्य से बनाया गया था, वही अस्पताल गैस पीड़ितों में कोविड-19 की वजह से हो रही मौतों के आंकड़ों को कम करने में लगा है।


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