मप्र का मतदाता बहुत समझदार है, उपचुनाव में करेगा सही फैसला : पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ

10/31/2020 4:15:37 PM

भोपाल, 31 अक्टूबर (भाषा) मध्यप्रदेश की 28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव के परिणाम के बाद कांग्रेस के वापस सत्ता में आने का दावा करते हुए प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश के मतदाता सीधे-सादे, भोले-भालें हैं पर बहुत समझदार हैं और सही फैसला करते हुए सौदेबाजी से बनी भाजपा सरकार को सत्ता से हटा देंगे।

प्रदेश में 15 माह पुरानी कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार 22 कांग्रेस विधायकों के त्यागपत्र देने के बाद भाजपा में शाामिल होने से मार्च माह में अल्पमत में आकर गिर गयी थी। इसके बाद मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बनी।

प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है। इसके तहत तीन नवंबर को मतदान होगा और दस नवंबर को मत गणना होगी।

मध्यदेश में सत्ता में वापसी के लिये कांग्रेस को सभी 28 सीटें जीतनी हैं जबकि सत्तारुढ़ भाजपा को 230 सीटों वाले सदन में 116 के बहुमत के निशान तक पहुंचने के लिये नौ सीटों की जरुरत है।

कमलनाथ ने शुक्रवार शाम को ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में उपचुनाव के बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने का दावा करते हुए कहा, ‘‘मुझे मध्यप्रदेश के मतदाताओं और जनता पर पूरा विश्वास है, खास कर के इन 28 सीटों पर। जो यह सौदे की सरकार है, नवंबर 2018 में जनता ने भाजपा को विदा कर दिया था, शिवराज को घर बिठाया था। कौन सी चीज बदली है, सात महीने में। भाजपा ने केवल सौदेबाजी की, किसान और त्रस्त हुआ, बेरोज़गारी बढ़ी। जनता इसे नहीं समझती क्या, तो जनता इसका फैसला करेगी। हमारे मध्यप्रदेश के मतदाता सीधे-सादे हैं, भोले-भाले, गरीब हैं, पर बहुत समझदार हैं। वह सही निर्णय करेंगें।’’
उपचुनाव में 28 में से कितनी सीटें कांग्रेस को मिलने की उम्मीद है कि सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं ये घोषणा नहीं करता। ये शिवराज जी घोषणा करते हैं।’’
उपचुनाव में प्रचार के दौरान मध्यप्रदेश की एक महिला मंत्री के लिये ‘‘आइटम’’ शब्द का इस्तेमाल करने पर कमलनाथ को आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
चुनाव आयोग द्वारा शुक्रवार को आचार संहिता के बार-बार उल्लंघन के लिये कमलनाथ का स्टार प्रचारक का दर्जा रद्द कर दिया है।

इस बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘स्टार प्रचारक का कौन सा पद, कौन सा कद होता है। चुनाव आयोग ने मुझे कोई नोटिस नहीं दिया, मुझे पूछा नहीं, तो ये कौन कर रहा है, आखिरी दो दिनों में, वो जाने उनका काम जाने।’’
कमलनाथ ने हालांकि अपने द्वारा उपयोग किये गये ‘‘आइटम’’ शब्द का बचाव करते हुए कहा, ‘‘ मैं इतने साल लोकसभा में रहा। लोकसभा की शीट पर, एजेंडे में लिखा रहता है, आइटम नं 1, 2... मेरे दिमाग में वो रहा। मैंने किसी के प्रति दुर्भावना से या किसी को अपमानित करने के लिये नहीं बोला था। क्योंकि ये आइटम शब्द से मैं बहुत परिचित रहा हूं, लोकसभा और विधानसभा में। और मैंने ये कहा कि अगर कोई अपमानित महसूस करता है तो मैं खेद व्यक्त करता हूं।’’कमलनाथ ने यह भी दावा किया कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने महिलाओं के संदर्भ में उस शब्द को अस्वीकार किया था लेकिन राहुल उनके (कमलनाथ) खिलाफ नहीं थे।

सत्तारुढ़ भाजपा के नेता उनसे इस टिप्पणी के लिये माफी मांगने की मांग कर रहे हैं, तब उन्होंने कहा, ‘‘यह देखिये कोई किसी की मांग नहीं है। अंत में (मैं) वही करता हूं जो सही एवं उचित है। क्योंकि यह (महिला मंत्री का अनादर करना) मेरी भावना नहीं थी।’’वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के मार्च माह में अपने 22 समर्थक विधायकों सहित कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो जाने से प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार अल्पमत में आकर गिर गयी। इसके बाद शिवराज के नेतृतव में मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बनी।

कमलनाथ सरकार गिरने के कुछ दिन पहले टीकमगढ़ में एक सभा में सिंधिया ने चेतावनी दी थी कि यदि कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने कांग्रेस के घोषणा पत्र के वादे पूरे नहीं किये तो वह सड़क पर उतर जाएंगे। इस चेतावनी पर कमलनाथ ने कहा था, ‘‘तो उतर जायें सड़क पर।’’
सिंधिया को इस तरह का जवाब देने के सवाल पर कमलनाथ ने कहा कि ऐसी स्थिति में वह और क्या कहते। उन्होंने कहा, ‘‘ अगर कोई कहे कि मैं सड़क पर उतर जाऊँगा और मेरे से प्रश्न पूछा जायेगा कि वो सड़क पर उतर जायेंगे तो कहना पड़ेगा कि वो उतर जायें और मैं क्या कहता।’
सिंधिया के छह समर्थक मंत्रियों जो इस साल मार्च में 22 कांग्रेस के विधायकों के साथ इस्तीफा देने वालों में शामिल थे, के मुताबिक कमलनाथ का यह बयान कांग्रेस की सरकार के पतन में निर्णायक साबित हुआ।

क्या इसके बाद सिंधिया से बात होती थी, के सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ उसके बाद भी बात तो मेरी उनसे हमेशा ही होती थी। खाने पर भी आते रहे। मेरे अच्छे संबंध थे। अब उन पुरानी बातों में जाने का मतलब नहीं।’’
सिंधिया के आरोप कि बड़ा भाई-छोटा भाई (कमलनाथ और दिग्विजय सिंह) ने कांग्रेस शासन में प्रदेश में तबादला उद्योग कायम कर दिया था, के सवाल पर कमलनाथ ने दावा किया, ‘‘देखिये सबसे ज्यादा ट्रांसफर तो सिंधिया जी ने करवाये। उसकी सूची है।’’
भाजपा द्वारा कांग्रेस के विधायकों को ख़रीदा गया इस दावे के समर्थन में कांग्रेस के पास कोई सबूत है, के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘देखिये प्रमाण की जरूरत नहीं है। यह सब जानते हैं। मेरे पास पूरी सूचना थी। तीन-चार महीने से सूचना थी तो कोई कहे कि इसकी वीडियो दिखाइये। जनता को जो बात समझ में आ जाये वो बात अंत में सही है। जहां जनता है। मैं भी जनता को समझता हूं। चुनाव लड़ता हूं। मैं राज्यसभा से नहीं आता। 40 साल से मैं जनता की बीच में रहा हूं। मैं समझता हूं।’’
इस बार उपचुनाव में प्रचार के दौरान तीखे शब्दों के कड़वे बयानों पर कमलनाथ ने कहा, ‘‘ बात ये है कि भाजपा को कुछ कहने के लायक नहीं है वो जनता का ध्यान बांटना चाहते हैं। इसलिये उन्होंने इसकी शुरुआत की।’’
भाजपा द्वारा उपचुनाव में विकास की कोई बात नहीं करने का आरोप लगाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘क्योंकि वे कुछ कह नहीं सकते। क्या कहेंगे। जनता ने तो फैसला नवंबर 2018 में कर लिया था। सात माह में कौन से विकास की बात करेंगे। इसलिये जनता का ध्यान मोड़ना चाहते हैं।’’
भाजपा का आरोप कि कांग्रेस ने किसानों के कर्ज माफी के वादे को पूरा नहीं किया पर उत्तर देते हुए कमलनाथ ने कहा, ‘‘ जब हमारी सरकार थी, शिवराज सिंह कितने महीनों से झूठ बोलते रहे कि कर्जा माफ नहीं हुआ। पर विधानसभा में उनको (भाजपा सरकार) जवाब पेश करना पड़ा कि लगभग 27 लाख किसानों का फसल कर्जा माफ हो गया। अब मैं गलत था या वो गलत थे। ’’
मध्यप्रदेश में 25 कांग्रेस विधायकों के त्यागपत्र देने के बाद पाला बदल कर भाजपा में जाने से तथा तीन विधायकों के निधन होने से पहली बार 28 विधानसभा सीटों पर एक साथ उपचुनाव होने जा रहे हैं। इन उपचुनावों के परिणाम मध्यप्रदेश में अगली सरकार का भविष्य तय करेंगे।


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