मप्र में गिद्ध के अंडों को सेने के लिये कृत्रिम ऊष्मायन सुविधा विकसित करने पर हो रहा विचार

11/22/2020 4:32:05 PM

भोपाल, 22 नवंबर (भाषा) मध्य प्रदेश वन विभाग गिद्धों की आबादी को बढ़ाने के लिये यहां स्थित गिद्ध सरंक्षण एवं प्रजनन केन्द्र में लगातार प्रयासरत है। इसके तहत यहां गिद्ध के अंडों को सेने के लिये कृत्रिम ऊष्मायन (इन्क्युबेशन) सुविधा विकसित करने पर विचार किया जा रहा है।
भोपाल स्थित वन विहार राष्ट्रीय उद्यान के उप निदेशक ए के जैन ने रविवार को पीटीआई-भाषा को बताया कि 2019 में मध्य प्रदेश में की गई पक्षी गणना के मुताबिक प्रदेश में 8,397 गिद्ध थे, जो भारत के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक है।
उन्होंने कहा कि धरती को साफ रखने में गिद्धों की महत्वपूर्ण भूमिका है, क्योंकि वे मरे हुए जानवरों को खाते हैं। लगभग दो दशक पहले इनकी संख्या काफी कम हो गयी थी और इस प्रजाति के विलुप्त होने का खतरा पैदा हो गया था।
उन्होंने बताया कि भोपाल के केरवा इलाके में वर्ष 2013 में गिद्ध सरंक्षण और प्रजनन केन्द्र बनाया गया था और इसे बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी और मध्य प्रदेश सरकार द्वारा संयुक्त तौर पर संचालित किया जा रहा है।
जैन ने बताया, ‘‘अंडों को सेने के लिये कृत्रिम ऊष्मायन सुविधा के वास्ते लगभग चार से पांच लाख रुपये की लागत से तीन या चार कमरों की जरुरत होगी। हम संरक्षण और प्रजनन केन्द्र में इस सुविधा को विकसित करने के बारे में गंभीरता से विचार कर रहे हैं।’’ उन्होंने बताया कि प्रसव पूर्व और नवजात गिद्धों की मृत्यु दर लगभग 70 प्रतिशत है। इस प्रकार यह सुविधा इन पक्षियों की आबादी को बढ़ाने में सहायक होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘केन्द्र में नई सुविधा से हम इन पक्षियों की जीवित रहने की दर को बढ़ाकर 50-60 प्रतिशत करने की आशा रखते हैं। ऊष्मायन से मां की गोद की तरह अंडों से निकले चूजों को गर्माहट मिलती है। यह एक आधुनिक जीवन रक्षक उपकरण है।’’ जैन ने बताया कि प्रजनन केन्द्र की शुरुआत में गिद्धों के 23 जोड़ों (46 गिद्ध) को यहां लाया गया था और कई गिद्धों की मौत की बाद भी अब यहां इनकी संख्या बढ़कर 55 हो गयी है।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

PTI News Agency

This news is Edited By PTI News Agency