टीके की बर्बादी को रोकने के लिए गैर स्वास्थ्य कर्मियों के टीकाकरण की अनुमति दी जाए : आईएमए

1/20/2021 8:42:15 PM

भोपाल, 20 जनवरी (भाषा) इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने कोविड-19 टीकाकरण के लिये पहले से पंजीकृत कई लोगों के टीका लगाने के लिए न आने पर बुधवार को चिंता जाहिर की और मध्यप्रदेश सरकार को सलाह दी कि एक ऐसा विकल्प बनाएं, जिससे टीका न लगाने वालों की जगह पर रूचि रखने वाले दूसरे लोगों को यह टीका लगाया जा सके।

आईएमए ने कहा कि वर्तमान में प्राथमिकता के आधार पर स्वास्थ्यकर्मियों का टीकाकरण किया जा रहा है और उनमें से पंजीकृत कई लोग निर्धारित तिथि पर टीका लगवाने नहीं आ रहे हैं जिस कारण टीके की कई खुराक बर्बाद हो रही है।

संगठन ने कहा कि इस वजह से इस प्राथमिक समूह से बाहर वाले लोगों को टीका लगवाने की अनुमति मिलनी चाहिए । इसने कहा है कि इससे न केवल रोजाना शत प्रतिशत लक्ष्य पूरा होगा, बल्कि हर केन्द्र पर दिन के आखिरी शीशी की 10 खुराकों में से जो खुराकें करीब हरेक केन्द्र में बर्बाद हो रही हैं उसे बचाया जा सकता है।

आईएमए मध्यप्रदेश के संयुक्त सचिव डॉ सुदीप पाठक ने बुधवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘सरकार को टीकाकरण अभियान में उन लोगों को शामिल करने का प्रावधान करना चाहिए जो इसमें रुचि रखते हैं ताकि अधिक से अधिक संख्या में लोगों को इसका लाभ मिल सके।’’
उन्होंने कहा, ‘‘एक शीशी में 10 खुराक हैं और एक बार इसके खुलने के बाद उसे एक बार में अधिकतम 10 व्यक्तियों को दे सकते हैं। लेकिन जब व्यक्तियों की संख्या कम होती है तो एक निश्चित अवधि के बाद दवा की यह खुराक बेकार चली जाती है।’’
उन्होंने कोरोना वायरस टीकाकरण के लिए ‘डेडिकेटेड पोर्टल’ में ऐसा प्रावधान करने का भी सुझाव दिया ताकि जो लोग टीका लगाने के इच्छुक हैं और पंजीकृत नहीं हैं, उन्हें टीका लगाया जा सके ताकि इसकी बर्बादी को रोका जा सके ।

वरिष्ठ चिकित्सक डॉ जयंत यादव ने कहा, ‘‘एक शीशी में 5 एमएल कोरोना का टीका है। इसकी 10 खुराकें बनती हैं और इसके खुलने के बाद इसे 10 व्यक्तियों को दिया जा सकता है। खुलने के बाद इसे केवल छह घंटे के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है। उसके बाद यह खराब हो जाती है। इसलिए छह घंटे के बाद यह उपयोग के लायक नहीं होती है।’’
पाठक ने कहा, ‘‘दैनिक रिपोर्टों के अनुसार टीकाकरण का लक्ष्य कहीं भी 100 प्रतिशत नहीं है और उस परिदृश्य में यह जनता के हित में होगा कि यदि इसके लिए तैयार लोगों को पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण कराकर टीकों की खुराक लेने की अनुमति दी जाए।’’
हालांकि, मध्यप्रदेश के अपर संचालक (टीकाकरण) डॉ. संतोष शुक्ला ने टीके की खुराकें बर्बाद होने की मीडिया में आई खबरों का खंडन किया है। उन्होंने कहा, ‘‘कहां बर्बाद हो रहा है? अंत की शीशी में से जो टीके लग रहे हैं, उसमें से नाममात्र के बच रहे हैं। उसे बर्बाद नहीं कहते हैं।’’
शुक्ला ने बताया, ‘‘हम एक साथ सब शीशियां थोड़ी खोलते हैं। एक के बाद एक इस्तेमाल हो जाती हैं। जब हम आखिरी शीशी खोलते हैं तो हम इंतजार करते हैं। पांच-सात-दस लोग जब तक नहीं होंगे, तब तक हम आखिरी शीशी नहीं खोलते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आखिरी शीशी में यह (बर्बादी) हो रहा है, क्योंकि इसे हम अगले दिन नहीं लगा सकते। चंद खुराक का फर्क पड़ता है और वह भी अनुमति के दायरे में है। टीकाकरण केन्द्र सरकार की दिशा निर्देर्शों के अनुसार यह चल रहा है। असलियत में वह बर्बादी नहीं है। जो लोग बर्बादी की बात कह रहे हैं, वह गलत है।’’
शुक्ला ने कहा कि आखिरी शीशी में जो खुराके छूट जाती हैं, उसके लिए हम सभी ने भारत शासन को बताया कि इसमें हमें एक प्रावधान यह भी दें कि जो लोग टीका लगाने के लिए बिल्कुल तैयार खड़े हैं, हम उन्हें यह बची हुई खुराक दे दें। उन्होंने कहा कि यह विचाराधीन है।

उन्होंने कहा कि टीकारकण का आकलन करने मध्यप्रदेश के दौरे पर आये केन्द्र सरकार के टीकाकरण निदेशक ने बताया, ‘‘मध्यप्रदेश कोविड टीका लगने एवं व्यवस्था करने में सबसे अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। देश के 33 राज्यों में नंबर एक पर मध्यप्रदेश जा रहा है।’’
शुक्ला ने कहा कि दो दिनों शनिवार एवं सोमवार को मध्यप्रदेश के 150 केन्द्रों में 18,800 टीके लगवाये गये हैं। हालांकि, वर्तमान में हमारा लक्ष्य प्रतिदिन 15,000 टीके लगवाने का है।



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