विरासत कला के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध ‘‘भोपाली बटुआ’’ पर कार्यशाला आयोजित
7/01/2022 2:27:16 PM
भोपाल, एक जुलाई (भाषा) अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़ी पारंपरिक कला और शिल्प की विरासत को संरक्षित करने के उद्देश्य से भोपाल में राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (निफ्ट) के तत्वावधान में शिल्पकारों को प्रशिक्षण और कौशल उन्नयन प्रदान करने के लिए एक से 17 जुलाई तक ‘‘भोपाली बटुआ’’ पर कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।
‘‘भोपाली बटुआ’’ अपनी अनूठी डिजाइन के लिए प्रसिद्ध है जिसमें मखमली कपड़े पर कुशलता से मोतियों की लड़ियां गुंथी जाती हैं।
परियोजना के लिए निफ्ट, भोपाल के समन्वयक डॉ राजदीप सिंह खनूजा ने शुक्रवार को पीटीआई-भाषा को बताया कि उस्ताद परियोजना (विकास के लिए पारंपरिक कला/शिल्प में कौशल और प्रशिक्षण का उन्नयन) के तहत अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के साथ निफ्ट ‘‘भोपाली बटुआ’’ को लोगों की वर्तमान जरूरतों के अनुरूप विकसित और डिजाइन करने पर एक कार्यशाला का आयोजन कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम ‘‘भोपाली बटुआ’’ को लोगों की वर्तमान जरूरतों के अनुसार फिर से डिजाइन करने का काम करेंगे। यह महिलाओं के लिए मोबाइल कवर, युवाओं, कॉलेज के छात्रों के लिए ट्रेंडी पर्स या बैग जैसा होगा।’’
उन्होंने कहा कि डिजाइन टीम ‘‘भोपाली बटुआ’’ के प्रसिद्ध और विरासत हस्तशिल्प का दस्तावेजीकरण करने के अलावा डिजाइनिंग, इसके उत्पादन और अनुसंधान पर ध्यान देगी।
खनूजा ने कहा कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने उस्ताद परियोजना को पारंपरिक कला/शिल्प के विकास के लिए प्रशिक्षण और कौशल बढ़ाने के वास्ते शुरू किया है। इसका मकसद अल्पसंख्यक समुदाय की पारंपरिक कला और शिल्प की विरासत को संरक्षित करना है। अल्पसंख्यक मंत्रालय ने निफ्ट को ‘नॉलेज पार्टनर’ के तौर पर यह परियोजना सौंपी है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
‘‘भोपाली बटुआ’’ अपनी अनूठी डिजाइन के लिए प्रसिद्ध है जिसमें मखमली कपड़े पर कुशलता से मोतियों की लड़ियां गुंथी जाती हैं।
परियोजना के लिए निफ्ट, भोपाल के समन्वयक डॉ राजदीप सिंह खनूजा ने शुक्रवार को पीटीआई-भाषा को बताया कि उस्ताद परियोजना (विकास के लिए पारंपरिक कला/शिल्प में कौशल और प्रशिक्षण का उन्नयन) के तहत अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के साथ निफ्ट ‘‘भोपाली बटुआ’’ को लोगों की वर्तमान जरूरतों के अनुरूप विकसित और डिजाइन करने पर एक कार्यशाला का आयोजन कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम ‘‘भोपाली बटुआ’’ को लोगों की वर्तमान जरूरतों के अनुसार फिर से डिजाइन करने का काम करेंगे। यह महिलाओं के लिए मोबाइल कवर, युवाओं, कॉलेज के छात्रों के लिए ट्रेंडी पर्स या बैग जैसा होगा।’’
उन्होंने कहा कि डिजाइन टीम ‘‘भोपाली बटुआ’’ के प्रसिद्ध और विरासत हस्तशिल्प का दस्तावेजीकरण करने के अलावा डिजाइनिंग, इसके उत्पादन और अनुसंधान पर ध्यान देगी।
खनूजा ने कहा कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने उस्ताद परियोजना को पारंपरिक कला/शिल्प के विकास के लिए प्रशिक्षण और कौशल बढ़ाने के वास्ते शुरू किया है। इसका मकसद अल्पसंख्यक समुदाय की पारंपरिक कला और शिल्प की विरासत को संरक्षित करना है। अल्पसंख्यक मंत्रालय ने निफ्ट को ‘नॉलेज पार्टनर’ के तौर पर यह परियोजना सौंपी है।
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