भोपाल गैस त्रासदी की बरसी पर पीड़ितों की याद में कैंडल मार्च निकाला गया
12/03/2022 12:36:19 AM
भोपाल, दो दिसंबर (भाषा) बंद हो चुकी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के पास 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों की याद में शुक्रवार रात को कैंडल मार्च निकाला गया।
यूनियन कार्बाइड की कीटनाशक फैक्ट्री से रिसने वाली जहरीली गैस ने भोपाल में दो-तीन दिसंबर, 1984 की सर्द और भयानक रात में हजारों लोगों की जान ले ली थी। इसे दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है।
गैस त्रासदी पीड़ितों के पांच संगठनों के लगभग 1,000 सदस्य अधिक मुआवजे की मांग को लेकर शनिवार को जंतर-मंतर पर एक रैली करने के मकसद से नयी दिल्ली आने के लिए शुक्रवार को एक ट्रेन में सवार हुए।
संभावना क्लिनिक के सदस्य ने कैंडल मार्च में सक्रिय रूप से भाग लिया। यह क्लीनिक त्रासदी में जीवित बचे पीड़ितों को 26 वर्षों से मुफ्त उपचार प्रदान करने का दावा करता है।
क्लिनिक में स्त्री रोग चिकित्सा सहायक अजीजा सुल्तान ने कहा कि मार्च करोंद सब्जी बाजार से शुरू हुआ और गैस त्रासदी पीड़ितों के स्मारक पर दीपक जलाने के साथ समाप्त हुआ।
उन्होंने पीटीआई-भाषा को बताया कि दिसंबर 1984 में जहरीली गैस के संपर्क में आए लोगों की इसके लंबे समय तक रहने वाले प्रभावों के कारण मौत हो रही है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
यूनियन कार्बाइड की कीटनाशक फैक्ट्री से रिसने वाली जहरीली गैस ने भोपाल में दो-तीन दिसंबर, 1984 की सर्द और भयानक रात में हजारों लोगों की जान ले ली थी। इसे दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है।
गैस त्रासदी पीड़ितों के पांच संगठनों के लगभग 1,000 सदस्य अधिक मुआवजे की मांग को लेकर शनिवार को जंतर-मंतर पर एक रैली करने के मकसद से नयी दिल्ली आने के लिए शुक्रवार को एक ट्रेन में सवार हुए।
संभावना क्लिनिक के सदस्य ने कैंडल मार्च में सक्रिय रूप से भाग लिया। यह क्लीनिक त्रासदी में जीवित बचे पीड़ितों को 26 वर्षों से मुफ्त उपचार प्रदान करने का दावा करता है।
क्लिनिक में स्त्री रोग चिकित्सा सहायक अजीजा सुल्तान ने कहा कि मार्च करोंद सब्जी बाजार से शुरू हुआ और गैस त्रासदी पीड़ितों के स्मारक पर दीपक जलाने के साथ समाप्त हुआ।
उन्होंने पीटीआई-भाषा को बताया कि दिसंबर 1984 में जहरीली गैस के संपर्क में आए लोगों की इसके लंबे समय तक रहने वाले प्रभावों के कारण मौत हो रही है।
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