मध्य प्रदेश में नया मानसून अनुसंधान केंद्र स्थापित होगा
1/23/2023 9:27:07 PM
भोपाल, 23 जनवरी (भाषा) मध्य प्रदेश में मानसून की घटनाओं का अध्ययन करने और उष्णकटिबंधीय बादलों का अध्ययन करके बेहतर मौसमी पूर्वानुमान लगाने के लिए केंद्र मध्य प्रदेश में एक ‘‘सुपर साइट’’ पर एक नए मानसून अनुसंधान केंद्र का अनावरण करने के लिए तैयार है।
एटमॉस्फेरिक रिसर्च टेस्टबेड-सेंट्रल इंडिया (एआरटी-सीआई) कोविड-19 महामारी के कारण देरी और साइट पर स्थानीय लोगों के अतिक्रमण की चुनौती के बीच पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) की एक परियोजना के रूप में मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के सिलखेड़ा में 100 एकड़ के परिसर में आकार ले रहा है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने यहां इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल के मौके पर पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘टेस्टबेड एक अद्वितीय स्थान पर स्थित है जो ‘मानसून कोर जोन’ के अंतर्गत आता है। हमें मानसून की प्रक्रिया को बेहतर ढंग से समझने की जरूरत है। हमें एक महत्वपूर्ण स्थान पर सभी बड़े अभियान करने की जरूरत है।’’
साइट पर कम से कम 30 यंत्र और कई सेंसर स्थापित किए जाने हैं, जो औद्योगिक गतिविधि और शहर की हलचल से दूर स्थित हैं और बारिश वाले मौसम प्रणालियों के सीधे रास्ते में हैं जैसे कम दबाव वाले क्षेत्र और बंगाल की खाड़ी से उभरने वाले दबाव।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
एटमॉस्फेरिक रिसर्च टेस्टबेड-सेंट्रल इंडिया (एआरटी-सीआई) कोविड-19 महामारी के कारण देरी और साइट पर स्थानीय लोगों के अतिक्रमण की चुनौती के बीच पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) की एक परियोजना के रूप में मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के सिलखेड़ा में 100 एकड़ के परिसर में आकार ले रहा है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने यहां इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल के मौके पर पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘टेस्टबेड एक अद्वितीय स्थान पर स्थित है जो ‘मानसून कोर जोन’ के अंतर्गत आता है। हमें मानसून की प्रक्रिया को बेहतर ढंग से समझने की जरूरत है। हमें एक महत्वपूर्ण स्थान पर सभी बड़े अभियान करने की जरूरत है।’’
साइट पर कम से कम 30 यंत्र और कई सेंसर स्थापित किए जाने हैं, जो औद्योगिक गतिविधि और शहर की हलचल से दूर स्थित हैं और बारिश वाले मौसम प्रणालियों के सीधे रास्ते में हैं जैसे कम दबाव वाले क्षेत्र और बंगाल की खाड़ी से उभरने वाले दबाव।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।