सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के फंसे कर्ज में 64,106 करोड़ की कमी : RTI

8/29/2018 3:47:03 PM

इंदौर : सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम से पता चला है कि वित्तीय वर्ष 2017-18 में बकायादारों से वास्तविक वसूली के कारण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के फंसे कर्जों (एनपीए) में 64,106 करोड़ रुपये की कमी आयी। हालांकि, यह रकम ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुई क्योंकि 31 मार्च को इस वित्तीय साल की समाप्ति के वक्त इन बैंकों का सकल फंसा कर्ज (ग्रॉस एनपीए) बढ़ते-बढ़ते 8,95,601 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया था। 

मध्यप्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने बताया कि उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से यह जानकारी मिली है।  गौड़ के आवेदन पर आरटीआई के तहत सामने आये आंकड़ों के मुताबिक बकायादारों से वास्तविक वसूली के कारण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के फंसे कर्ज वित्तीय वर्ष 2016-17 में 53,250 करोड़ रुपये घट गये थे। वित्तीय वर्ष 2015-16 में बकाया वसूली के चलते इन बैंकों के फंसे कर्जों में 40,903 करोड़ रुपये की कमी आयी थी। 

आरटीआई अर्जी पर आरबीआई के 24 अगस्त को भेजे जवाब से पता चलता है कि वित्तीय वर्ष 2016-17 की समाप्ति के समय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का फंसा कर्ज 6,84,732 करोड़ रुपये के स्तर पर था । वित्तीय वर्ष 2015-16 की समाप्ति के समय इन बैंकों को 5,39,968 करोड़ रुपये के फंसे ऋण वसूलने थे। देश में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की मौजूदा तादाद 21 है। हालांकि, गौड़ को आरटीआई के तहत भेजे जवाब में आरबीआई ने एनपीए और कर्ज वसूली से एनपीए में कमी के बारे में बैंकवार ब्योरा नहीं दिया है। 

इस बीच, अर्थशास्त्री जयंतीलाल भंडारी ने सुझाव दिया कि एनपीए के साल-दर-साल बढ़ते बोझ के मद्देनजर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की तादाद 21 से घटाकर 10 के आस-पास की जानी चाहिए । लगातार खराब प्रदर्शन कर रहे सरकारी बैंकों को सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य बैंकों में विलीन किया जाना चाहिए ।


 

kamal

This news is kamal