PSC भर्ती में आरक्षण कैरी- फाॅरवर्ड नियम को HC में चुनौती, केंद्र समेत राज्य सरकारों के अफसरों को नोटिस

2/4/2020 4:52:06 PM

भोपाल: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर पीएससी के विभिन्न पदों पर की जा रही भर्ती प्रक्रिया में निशक्तजनों के लिए आरक्षित पदों में कैरी-फॉरवर्ड नियम को चुनौती दी गई है। याचिका में नियम की संवैधानिकता पर सवाल उठाते हुए इसे असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है। याचिका पर सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने सचिव विधि एवं विधायी कार्य विभाग दिल्ली, सचिव सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण विभाग दिल्ली तथा भेापाल, प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन विभाग मध्यप्रदेश और लोक सेवा आयोग इंदौर के चेयरमैन को नोटिस जारी कर 7 दिन में जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी।

वहीं अधिवक्ता अंकित मिश्रा, प्रिया शुक्ला ने बताया कि भोपाल निवासी आदित्य खरे ने हाईकोर्ट में भारत सरकार, राज्य शासन सहित पीएससी के खिलाफ याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि संसद ने 2016 में दिव्यांगता अधिकार अधिनियम-2016 पारित किया था। अधिनियम की धारा 34 में निशक्तजनों के लिए आरक्षित पदों में से रिक्त पदों को कैरी-फॉरवर्ड करने का प्रावधान है। इसी धारा के परिपालन में लोक सेवा आयोग पिछले कई सालों से निशक्तजनों के रिक्त पदों को कैरी-फॉरवर्ड कर रहा है।

सुनवाई के दौरान अधिवक्ताओं ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी प्रकरण में आरक्षण दो प्रकार का बताया है। वर्टीकल और हॉरिजेंटल। अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण वर्टीकल श्रेणी में आता है। निःशक्तजन, एक्स सर्विसमैन, महिलाओं के लिए आरक्षण हॉरिजेंटल आरक्षण की श्रेणी में आता है।

सुप्रीम कोर्ट तथा अन्य हाईकोर्टों के अलग अलग न्याय दृष्टांतों में इस बात को कई बार स्पष्ट किया गया है कि कैरी-फॉरवर्ड नियम हॉरिजेंटल आरक्षण पर लागू नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद भी इस नियम को मध्यप्रदेश में विभिन्न भर्तियों में उपयोग किया जा रहा है। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने राज्य अभियांत्रिकी सेवा परीक्षा-2017 के जरिए विभिन्न विभागों में सहायक यंत्री के पदों की भर्ती की थी। इसमें याचिकाकर्ता भी उम्मीदवार था। परीक्षा का परिणाम अक्टूबर-2018 में घोषित हुआ। इसमें याचिकाकर्ता का नाम अनुपूरक सूची में था जबकि मुख्य सूची के कुल विज्ञापित पदों में से कुछ पद अभी भी रिक्त हैं। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के न्याय दृष्टांतों तथा तर्क सुनने के बाद भारत सरकार सहित राज्य शासन व पीएससी के अफसरों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

Jagdev Singh

This news is Edited By Jagdev Singh