World Sickle Cell Day 2022: सिकल सेल की पीड़ा समझे न हर कोई, यह सिर्फ एनीमिया नहीं है, चलता यह जन्म भर: सारिका घारू

6/18/2022 7:13:47 PM

भोपाल: विश्व सिकलसेल दिवस 2022 (World Sickle Cell Day 2022) के अवसर पर आम लोगों में इस रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए नेशनल अवॉर्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू (Sarika gharu) जनजाति बहुल ग्रामों में पहुंचकर इस रोग के फैलाव को रोकने के बारे में बता रही हैं। सारिका घारू (Sarika gharu) ने बताया कि एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सबसे अधिक सिकल सेल (Sickle Cell) से प्रभावित आबादी मध्यप्रदेश में है।

ऐसे करे बचाव 

2007 में ICMR के अध्ययन के अनुसार यहां एक करोड़ 50 लाख की जनजाति आबादी में से लगभग 10 से 33 प्रतिषत तक इस रोग की वाहक तथा लगभग 0.7 प्रतिशत रोगग्रस्त है। सारिका ने संदेश दिया कि इस रोग के बच्चों को स्कूल में बस्ते का बोझ कम करने, उन्हें पानी पीने, टॉयलेट जाने, अधिक मेहनत का काम न करने के लिये शिक्षकों एवं पालकों को प्रशिक्षित करने की अवश्यकता है। रोगी के प्रति सहानुभूति पूर्वक व्यवहार तथा काम का स्थान न अधिक गर्म न अधिक ठंडा हो यह ध्यान रखना चाहिये।

शादी से पहले सिकलसेल कुंडली मिलाना जरूरी: सारिका घारू

यह सामान्य एनिमिया नहीं है। जिसे आयरन देकर ठीक किया जा सके। यह जीवन भर चलने वाला जन्मजात रोग है। अतः इसका फैलाव रोकने के लिये विवाह के पूर्व सिकलसेल कुंडली मिलाना जरूरी है। सारिका ने अपील करते हुए कहा कि दिन इस रोग के बारे में जानकारी के लिए लोगों को समय निकालकर इससे बचाव के बारे मे समझना होगा। 

क्यों मनाया जाता है सिकलसेल दिवस 

सारिका घारू (Sarika gharu) ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 22 दिसम्बर 2008 को एक प्रस्ताव को अपनाया था। जिसमें सिकलसेल रोग को दुनिया की सबसे प्रमुख अनुवांशिक बीमारी में से एक के रूप में मान्यता दी थी। इसके बाद 19 जून 2009 से हर साल यह दिन विश्व सिकलसेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

 

Devendra Singh

This news is News Editor Devendra Singh