SDM ने भरण पोषण अधिनियम के तहत सुनाया फैसला, पुत्रों को बूढ़े माता- पिता को देना होगा गुजारा भत्ता
11/18/2019 4:52:59 PM
जबलपुर (विवेक तिवारी): मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा एक मामला जबलपुर से सामने आया है। जहां बेटों ने अपने बूढ़े माता- पिता को असहाय छोड़ दिया। वहीं बूढ़े दंपति का एक पुत्र दिल्ली के कलेक्टर ऑफिस में एसडीएम है तो एक पुत्र बिजली विभाग में सरकारी ठेकेदार है, लेकिन जब माता-पिता के लालन-पालन की बारी आई तो किसी ने साथ नहीं दिया कोई अपनी बीवी के साथ खुश है तो कोई अफसर बनके मौज मस्ती में व्यस्त हो गया। वहीं ऐसे में पिता ने इनको सही रास्ते पर लाने के लिए एसडीएम कार्यालय की ओर रुख किया और माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007/ 2009 के तहत आवेदन प्रस्तुत किया और मामला एसडीएम गोरखपुर आशीष पांडे के पास पहुंचा।
छिद्दि लाल पटेल और उनकी पत्नी सिया बाई पटेल जबलपुर के धन्वंतरी नगर में रहते हैं और उनके दोनों पुत्र उन्हीं के साथ रहते थे। साल 2000 में वे रिटायर्ड हो गए जो कुछ राशि रिटायरमेंट के समय मिली वह सारा पैसा अपने पुत्रों की पढ़ाई लिखाई में लगा दिया इनमें से छोटे पुत्र पुनीत कुमार पटेल को यूपीएससी की तैयारी करवाई और डिप्टी कलेक्टर के पद पर पुनित का चयन हो गया वर्तमान में वह दिल्ली में एसडीएम के पद पर तैनात है। कोर्ट के सामने यह पूरा मामला एसडीएम आशीष पांडे के पास पहुंचा तो बारी- बारी से सभी के पक्ष को सुना गया।
एसडीएम ने अवलोकन करके पाया कि माता-पिता दोनों वरिष्ठ नागरिकों की श्रेणी में आते हैं। उन्होंने अपना जीवन सुचारु रूप से चलाने के लिए पोषण की मांग की है। एसडीएम आशीष पांडे इस मामले में कई न्याय सिद्धांतों का हवाला देते हुए माता-पिता को वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007 के तहत भरण पोषण के लिए योग्य पाया। यह एक्ट अत्याचारी संतानों को सबक सिखाने के लिए ही बना है, ऐसे में आशीष पांडे ने माता पिता के पक्ष में आदेश दिया। फैसले में साफ किया गया कि एसडीएम पुत्र 15000 हर महीने पिता को देगा एवं जो अन्य पुत्र है 10000 की राशि अपने पिता को देगा इस फैसले में खास बात यह रही कि एसडीएम पुनीत कुमार पटेल दिल्ली में पोस्टेड है इस बाबत एक आदेश कलेक्ट्रेट में भेज दिया गया कि वेतन से ये राशि आहरित की जाए।