jansamvad yatra 2022: जनसंवाद यात्रा के बहाने चुनावी रण की तैयारी करते सिद्धार्थ मलैया, जनता की टटोली नब्ज?

5/22/2022 2:01:25 PM

दमोह (इम्तियाज़ चिश्ती): युवा नेता सिद्धार्थ मलैया (siddharth malaiya damoh) की जनसंवाद यात्रा (jansamvad yatra 2022) 11वें दिन भी जारी रही। मई महीने की तेज तपिश और बढ़ते तापमान के बावजूद सिद्धार्थ मलैया (siddharth malaiya) और उनके समर्थकों के मनोबल में कोई कमी नहीं आई है। उनका डोर 2 डोर ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा जारी है। जनसंवाद के तीसरे चरण के आखिर में सिद्धार्थ टीम ने रुख किया सिद्ध क्षेत्र लक्ष्मनकुटी के आसपास क्षेत्र का जिंसमें महंतपुर, पालर सहिंत अनेकों गांव में पहुंचे और लोगों से संपर्क किया।

वोटरों की नाराजगी बीजेपी को उठानी पड़ी 

इस दौरान बहुत से लोगों ने अपनी समस्याएं सामने रखी। जैसे जैसे लोगों से संवाद होता जा रहा था। लोग अपनी मन की बात भी रखते देखे और सुने गये। लक्ष्मनकुटी, मुड़िया पालर, महंतपुर ये पूरा बेल्ट भाजापा का वोट बैंक (vote bank of bjp) है। लेकिन पिछले चुनाव में यहां से ज्यादा से ज्यादा वोट कॉंग्रेस (congress) के पाले में आ गए थे। वजह साफ थी कि पिछली बार भाजापा ने राहुल लोधी (rahul lodhi) पर दांव खेला था जिससे ना सिर्फ मलैया परिवार (malaiya family) बल्कि इस क्षेत्र के मतदाता भी नाराज हुआ, जिसका खामियाजा बीजेपी (bjp) को उठाना पड़ा। ये बात खुद ग्रामीणों ने स्वीकारी। उन्होंने साफ कहा कि बीते उप चुनाव में बीजेपी ने मलैया परिवार को टिकिट नहीं दिया था। इससे नाराज मजबूरन कांग्रेस (congress) को अपना समर्थन देना पड़ा था।

हारे हुए नेता की बढ़ जाती है जिम्मेदारी: सिद्धार्थ मलैया

ग्रामीणों ने कहा कि सिद्धार्थ मलैया (siddharth malaiya) की जन संवाद यात्रा की चर्चा ना सिर्फ दमोह बल्कि अब दूसरे शहरों में रह रहे लोगों को अपनी ओर खींच रही है। इंदौर में रह रहे देवेन्द्र पटेल (devendra patel) जैसे युवा भी दमोह अपने गांव पहुंचकर यात्रा का स्वागत करने से पीछे नहीं हैं। आने वाले दिनों में सिद्धार्थ मलैया (siddharth malaiya), चुनाव लड़ते हैं तो उनको यहां से पूरा समर्थन मिलने की उम्मीद है। वहीं सिद्धार्थ मलैया (siddharth malaiya) ने कहा कि ये मेरी राजनैतिक यात्रा है। वे यहीं नहीं रुके उन्होंने आगे कहा कि जो विकास कार्य मेरे पिता ने विधायक रहते कराये थे, जो बड़ी बड़ी योजनाओं का संचालन किया। फिर चाहे सिंचाई परियोजना हो या पेयजल योजना हो। सभी संचालित हैं। ऐसे में अगर आपका नेता चुनाव हार जाता है तो फिर उनकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है। उस योजना को जनता तक पहुंचाना जिम्मेदारी का काम बन जाता है। लेकिन उसमें भी उदासीनता बरतनी पड़ती है। 

हार के कारणों को पिताजी को गिनाउंगा: सिद्धार्थ मलैया

अगर बात की जाए तो अभी एक लाख अठत्तर हजार एकड़ की अगर सिंचाई होना है। जिंसमें पंचम नगर, जूड़ी, साजली, सीता नगर, सतधरु परियोजना और उसकी अभी एक एकड़ भी सिंचाई दमोह में नहीं हो रही है। ये पांचों योजनाएं डेढ़ से दो सालों से लेट चल रही हैं तो कहीं तो अंगुली उठेगी। किसी की तो उदासीनता रही, सिद्धार्थ ने ये भी कहा कि मैं किसी और को दोष क्यों दूं। मैं मानता हूं पिता को ही बोलूंगा कि आप चुनाव क्यों हार गए।

क्या सिद्धार्थ मलैया जनता की टटोल रहे हैं नब्ज?   

सिद्धार्थ ने जानकारी देते हुए बताया कि हम कोई छोटी बात नहीं कर रहे हैं। एक लाख अठत्तर हजार की बात कर रहे हैं। इसलिए सवाल तो खड़े होते हैं। जनप्रतिनिधियों पर यात्रा का एक उद्देश्य ये भी है कि जनता को इस बात से भी अवगत कराया जाए वैसे जनता जानती सब है लेकिन बोलने का साहस नहीं कर पाती है, तो अब जनता को ही सवाल करने होंगे तभी आपके क्षेत्र का विकास होगा।  बीते 11 दिनों से इस भीषण गर्मी में चल रही जन संवाद यात्रा में लोगों ने अपनी समस्याएं सुनाई तो सिद्धार्थ ने भी अपनी बात खुलकर रखी। कुल मिलाकर जन संवाद यात्रा के बहाने ही सही सिद्धार्थ मलैया को लोगों की नब्ज टटोलने का एक अच्छा अवसर मिल गया। 

Devendra Singh

This news is News Editor Devendra Singh