coal crisis in chhattisgarh: सियासी दांवपेंच और बयानबाजी में उलझा कोयले संकट का समाधान, अभी और करना होगा इंतजार

7/8/2022 6:23:44 PM

रायपुर (सतेंद्र शर्मा): छत्तीसगढ़ में कोयला (coal crisis in chhattisgarh) आधारित उद्योग बंद होने की कगार पर है। यही कारण है कि प्रदेश के स्पंज आयरन उद्योग (sponge iron industry chhattisgarh) अब कोल इंडिया (coal india) से आर पार की लड़ाई के मूड में है। कोल इंडिया की ओर से लिंकेज आगे नहीं बढ़ाये जाने पर स्पंज आयरन एसोसिएशन (sponge iron industry) के हज़ारों श्रमिकों के साथ एसईसीएल दफ्तर घेराव करने की रणनीति बनाई है। वहीं राज्य सरकार (state government) ने भी निजी उद्योगों को कोयला नहीं मिलने पर केन्द्र को जिम्मेदार ठहराया है।  

छत्तीसगढ़ में कोयला आधारित उद्योगों पर काले बादल

कोयला संकट (coal crisis) से देश भर में हाहाकार मचा हुआ है। कोयले की कमी (lack of coal) के बीच देश में हजारों ट्रेन रद्द की जारी है। देश के लाखों रेल यात्री परेशान है। जबकि छत्तीसगढ़ में कोयले का भंडार (storage of coal in chhattisgarh) है। बावजूद इसके छत्तीसगढ़ में कोयला आधारित उद्योगों पर संकट छाया हुआ है। कोयला भंडार कहलाने वाले प्रदेश छत्तीसगढ़ के स्पंज आयरन उद्योगों (sponge iron industries) को एसईसीएल से कोयला नहीं मिल रहा है। इसकी वजह कोल इंडिया (coal india) के साथ स्पंज आयरन उद्योगों का पांच साल का लिंकेज मार्च 2022 को समाप्त हो गया है। जिसके बाद से निजी उद्योगों को कोयला नहीं मिल पा रहा है। हालांकि एसोसिएशन इस अनुबंध को पांच साल आगे बढ़ाने की मांग कर रहा है। लेकिन कोल इंडिया, केंद्र सरकार (central government) के नियमों का हवाला देकर अनुबंध आगे बढ़ाने से इनकार कर रहा है।

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हमें नहीं चाहिए विदेशी कोयला: अनिल नचरानी

लिहाजा निजी उद्योगों को प्लांट चलाने के लिए विदेशों से कोयला मांगना मजबूरी बन गई है। लेकिन महंगा कोयला (expensive coal) होने से अब संघ के अध्यक्ष अनिल नचरानी ने साफ कहा है कि हम विदेशी कोयला से उद्योग नहीं चलाएंगे, अगर समय पर कोयला नहीं मिलता है तो स्पंज आयरन के साथ साथ हजारों उद्योग बंद होने की कगार पर आ गए हैं। इसके लिए हम कड़ा और बड़ा विरोध करेंगे। 

कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना  

निजी उद्योगों को SECL की ओर से कोयला नहीं मिलने पर छत्तीसगढ़ सरकार (chhattisgarh government) की तरफ से कैबिनेट मंत्री और सरकार के प्रवक्ता ने भी चिंता जाहिर की है। कोयला संकट को लेकर कृषि मंत्री रविंद्र चौबे (minister ravindra chaubey) ने कहा कि भारत सरकार ने छत्तीसगढ़ से चलने वाली बहुत सी ट्रेने बंद कर दी है। उसके बाद भी वे कोयले की आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं, इससे साफ है कि केंद्र की नीति असफल रही है, अब कोयले की आपूर्ति (supply of coal) विदेशों से करनी पड़ेगी, जो काफी महंगा होगा, आने वाले समय में गंभीर स्थितियां उत्पन्न होगी। इसके लिए केंद्र सरकार की नीतियां जिम्मेदार है। 

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कोयले संकट पर बीजेपी का कांग्रेस पर पलटवार

कोयला संकट की वजह से छत्तीसगढ़ के 100 से ज्यादा उद्योग बंद होने की कगार पर है। जबकि छत्तीसगढ़ में प्रतिदिन साढ़े पांच लाख मीट्रिक टन कोयला का उत्पादन होता है। जबकि एक दिन की उत्पादन क्षमता का महज 10 % कोयला ही प्रदेश के उद्योगों को चाहिए। कोयले के कमी को लेकर प्रदेश की सरकार केंद्र सरकार की नीतियों को गलत ठहराया रही है। लेकिन छत्तीसगढ़ का विपक्ष यानी भाजपा राज्य सरकार को दोषी करार दे रही है। विपक्ष की तरफ से पूर्व मंत्री ने राज्य सरकार में खिलाफ कैसे आरोप लगाया है।  

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दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है कोल इंडिया अनुबंध को लेकर 

देश में कोयला की समस्या ने विकराल रूप ले लिया है। हालात देश के सामने हैं। ट्रेनों का रद्द होने का सिलसिला जारी है, तो छत्तीसगढ़ में उद्योगों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। लेकिन कोयला की व्यवस्था करने वाली संस्था यानी SECL का बयान भी पड़ने लायक है। कोल इंडिया से जब स्पंज आयरन एसोसिएशन का लिंकेज था। उस दौरान भी निजी उद्योग कोयले के लिए तरसते थे। वहीं अब लिंकेज समाप्त होने पर कोल इंडिया भी अनुबंध आगे बढ़ाने कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। ऐसे में राज्य सरकार इस मामले में क्या पहल करती है और निजी उद्योगों को कब तक राहत मिल पाती है ये देखना दिलस्चप होगा। क्योकि राज्य के उद्योगों का सवाल है और कोयला भी छत्तीसगढ़ की धरती का ही है। 
 


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News Editor

Devendra Singh

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