80 लाख की लागत का स्टेडियम बना चारागाह, यहां खिलाड़ी खेलते नहीं, जानवर चरते हैं घास

8/13/2021 7:13:03 PM

रायसेन(नसीम अली): टोक्यो ओलिंपिक में भारत को मिले सोने की चमक से देशवासियों व खिलाड़ियों के चेहरे भले ही दमक रहे हों, लेकिन जिले में स्थित खेल मैदानों में उग रही घास खेल मैदान मवेशियों के तबेला बनकर रह गए हैं जिससे युवाओं की खेल प्रतिभा निखारने में बाधा बनी हुई है। मध्यप्रदेश खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों को बढ़ावा देने के लिए खेल मैदान और स्टेडियम निर्माण की कई योजनाएं बनाई, जिनके अंतर्गत जिले में कई निर्माण भी हुए, लेकिन इन निर्माणों में सरकारी पैसे का जमकर दुरुपयोग किया जा रही है जिसकी वजह से स्टेडियम का निर्माण सफेद हाथी साबित होता नजर आ रहा है।

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ऐसा ही एक निर्माण सांची से करीब छह किलोमीटर दूर स्थित आमखेड़ा गांव में हुआ है। यहां पर करीब 80 लाख रुपए की लागत से 4 साल पहले स्टेडियम का निर्माण कराया गया, जिसका उद्घाटन तत्कालीन मंत्री गौरीशंकर शेजवार ने किया था, लेकिन आज ये स्टेडियम चारागाह में तब्दील होता नजर आ रहा है। उद्घाटन के बाद से बाउड्री के अलावा कोई निर्माण नहीं कराया गया। शासन प्रशासन की लापरवाही से बच्चे गांव की गलियों और खेतों में खेलने को मजबूर हैं। योजनाओं के नाम पर सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया है।

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वही इस बारे में ताई कमांडों खिलाड़ी विकाश जेशवल ने बताया कि जब से यह स्टेडियम बना है। तब से इस में ताला ही डाला रहता है और इसमें एक भी टूर्नामेंट नहीं खेला गया है। स्थानीय खिलाड़ी खेतों और गलियारों में प्रैक्टिस करते हैं। यही वजह है कि यहां सांची में कई खिलाड़ी हुआ करते थे मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलने के कारण सिर्फ नाम के खिलाड़ी बचे हैं।

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सांची के खेल शिक्षक एवं पूर्व खिलाड़ी शुभम सेन ने बताया कि सांची में स्टेडियम बनवाने के लिए उन्होंने काफी संघर्ष किया लेकिन 4 साल बाद भी इस स्टेडियम को खेल मैदान का रूप नहीं दिया जा सका। जहां हमेशा ताला डाला देता है, जिसमें गाय भैंस के लिए चारागाह बन गया हैं। सिर्फ चारदीवारी ही बनाई गई है स्टेडियम का फर्श पर बेस भी तैयार नहीं है, जिसमें पत्थर पड़े हुए हैं, बड़ी-बड़ी घास उग रही है। 2017 में सांची में 500 खिलाड़ी अभ्यास करते थे। लगभग डेढ़ सौ बच्चे नेशनल भी खेल चुके हैं, आज खिलाड़ी कहीं मजदूरी कर रहे हैं या प्राइवेट जॉब कर रहे हैं अगर सांची के बच्चों को अच्छा प्लेटफार्म खेल मैदान मिले तो काफी खिलाड़ी साँची से आगे पहुंचेंगे।

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जिले में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं हैं। खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने के लिए शासन ने जिला मुख्यालय पर स्टेडियम, मंडीदीप में हाकी फीडर कोर्ट, सांची में ताइक्वाडो कोर्ट, बरेली में हैंडबाल, उदयपुरा में कबड्डी, सिलवानी में फुटबाल मैदान का निर्माण कराया है। यही कारण है कि मंडीदीप से करीब 50 हाकी खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर तक खेल चुके हैं। सांची से ताइक्वांडो में 12, बरेली से हैंडबाल में दो, उदयपुरा से कबड्डी में दो, रायसेन से फुटबाल में दस और सिलवानी से फुटबाल में दो खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं। वर्तमान में करीब 40 युवा मंडीदीप में, 15 बरेली में, 25 उदयपुरा में, रायसेन में 40 व सांची में 20 युवाओं का पंजीयन खेल विभाग के पास है।


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Content Writer

meena

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