जब मां शारदा के मंदिर में बीमार बेटी को पुलिसवाले ने दर्शन करने से रोका, बेटी ने फिर वर्दी पहनकर दिया जोरदार जवाब, पढ़िए दिलचस्प कहानी

3/8/2023 4:49:20 PM

जबलपुर(विवेक तिवारी): जीवन में घटने वाली घटनाएं आपको संदेश भी देती हैं और कुछ करने का जज्बा भी दे जाती हैं। ऐसी ही एक घटना ने एक बेटी को पुलिस सेवा में आने के लिए प्रेरित कर दिया। मैहर के मां शारदा दरबार में एक बेटी दर्शन करने के लिए पहुंची थी। बेटी का स्वास्थ्य ठीक नहीं था लिहाजा वह लाइन से हटकर साइड से माता के दर्शन के लिए जाना चाहती थी। लेकिन वहां पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने उस बेटी को रोका और उसी वक्त उस बेटी ने कहा आज आपने मुझे रोका है लेकिन अब आने वाले वक्त में मजबूर और असहाय लोगों को माता के दर्शन करने के लिए कोई भी नहीं रोक पाएगा। मैं भी अब माता के दरबार में इसी खाकी वर्दी में ड्यूटी करूंगी। बस यही प्रेरणा लेकर बेटी ने आगे बढ़ने की ठान ली। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हम जबलपुर के विजय नगर थाने में पदस्थ आरक्षक गरिमा पांडे की कहानी आपके सामने लेकर आए हैं। गरिमा पांडे ने दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ नया मुकाम हासिल कर लिया है। रीवा से ताल्लुक रखने वाली गरिमा पांडे ने साल 2018 में आरक्षक के रूप में सेवा शुरू कर दी। पढ़ाई लिखाई में कुशाग्र बुद्धि की गरिमा ने बीकॉम और एमकॉम तक की शिक्षा प्राप्त की है। पिता रीवा में ही कृषि विकास अधिकारी हैं। माता उच्च शिक्षित है लिहाजा बेटी भी उच्च  शिक्षित है और सरकारी सेवा में ईमानदारी के साथ आगे बढ़ रही है।



गरिमा पांडे बताती है कि मैं पुलिस में तो नहीं आना चाहती थी लेकिन मैहर में घटित घटना ने मुझे इस ओर आने के लिए प्रेरित कर दिया। हालांकि गरिमा यह भी कहते हैं कि स्पोर्ट्स में उनकी शुरू से रुचि थी शायद यही वजह थी उन्होंने आरक्षक के रूप में पुलिस विभाग में अपनी आमद दे दी। साल 2018 में उनकी पदस्थापना कोड रेड में हुई, जिसमें मनचलों के खिलाफ विशेष अभियान छेड़ा गया। वर्तमान में विजय नगर थाने में कोर्ट मुंशी के रूप में पदस्थ हैं।

आरक्षक के रूप में ऑलराउंडर की भूमिका अदा करती हैं गरिमा

गरिमा पांडे आरक्षक के रूप में विजय नगर थाने में तैनात हैं। वहां पर वे कोर्ट मुंशी के तौर पर कार्य कर रही हैं। कोर्ट में चालान डायरी लेकर जाना कोर्ट से जुड़े अन्य कार्य करना उनका प्रमुख कार्य है लेकिन इसके अतिरिक्त फील्ड में भी अपराधियों की धरपकड़ के लिए वे जुटी रहती हैं अपने वरिष्ठ अफसरों के साथ। सलकनपुर माता के मंदिर में ड्यूटी के दौरान उन्होंने भरी भीड़ में चोरों को पकड़ा था। वही जबलपुर के ग्रीन सिटी में भी उन्होंने चोरों का पीछा करते हुए नाले में कूदकर चोरों को पकड़ लिया था यानी कि एक धाकड़ आरक्षक के रूप में वे कार्य कर रही हैं। जहां भी जैसी भी जिम्मेदारी दी जाती है उसका वे भली-भांति पालन करती हैं। महिला संबंधी अपराधों में भी लगातार वे अपने सीनियर्स का सहयोग करती हैं।

वर्दी की गरिमा कभी भी धूमिल ना हो

आरक्षक गरिमा पांडे बताती हैं कि जब हम पुलिस की वर्दी पहनते हैं तो उसके विशेष कर्तव्य होते हैं। गरिमा कहती हैं कि अपनी ड्यूटी के समय हमें कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे लोग हमें भ्रष्ट समझे और वर्दी का अपमान हो लोगों में पुलिस के प्रति विश्वास जगाना जनता का सेवक समझकर पुलिस को काम करना चाहिए साथ ही जहां पर भी गरीब लोगों की मदद करने का मौका मिले वहां पर मदद जरूर करना चाहिए। अगर हम ऐसा करेंगे तो वर्दी की लाज बच पाएगी।

meena

This news is Content Writer meena