15 August special: मानकों के आधार पर तैयार झंडे पर फहराया जाए, क्रांतिकारियों के रक्त से सिंचित है तिरंगा

7/29/2022 12:12:50 PM

ग्वालियर (अंकुर जैन): आजादी के 75 साल पूरे होने पर राज्य सरकार 'हर घर झंडा अभियान' चला रही है। देश की ऐतिहासिक इमारतों और शासकीय इमारतों पर शान से फहराने वाला झंडा, उत्तर भारत में सिर्फ ग्वालियर शहर (gwalior city) में तैयार होता है। देश की आन बान और शान वाले तिरंगे झंडे को बनाने के लिए 23 मानकों को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। ग्वालियर के मध्य भारत खादी संघ में खादी संघ की उत्तर भारत की एकमात्र आईएसआई प्रमाणित राष्ट्रीय ध्वज निर्माण शाला में इन राष्ट्रीय ध्वज को तैयार किया जाता है। 'हर घर झंडा अभियान' (har ghar jhanda campaign) को लेकर यहां तकरीबन 16 राज्यों से भारत मानक ब्यूरो के अनुसार तैयार होने वाले राष्ट्रीय ध्वज (national flag) की डिमांड है। 

मानकों के आधार पर तैयार झंडे पर फहराया जाए: मध्य भारत खाद्य संघ

मध्य भारत खाद्य संघ (madhya bharat khand sangh) के राष्ट्रीय ध्वज निर्माण संस्था के प्रबंधकों का कहना है कि सरकार का 'हर घर झंडा अभियान' तारीफ के काबिल है। लेकिन उन्होंने आम नागरिकों और प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह (cm shivraj singh chouhan) से भी अपील की है कि राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान में सिर्फ मानकों के आधार पर तैयार किए गए राष्ट्रीय ध्वज को ही घरों और शासकीय दफ्तरों में फहराने की अनुमति दी जाए। बाजारों में बिकने वाले तिरंगे झंडे मानकों को पूरा नहीं कर रहे हैं। इसलिए उन्होंने इसे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान भी बताया है। उन्होंने जनता से अपील की है कि तिरंगा झंडा नियमों और कायदों को पालन करते हुए फहराया जाए।

झंडे में 100% कॉटन क्लॉथ इस्तेमाल

महात्मा गांधी के खादी और चरखा आंदोलन से प्रभावित, मध्य भारत खादी संघ की राष्ट्रीय ध्वज निर्माण संस्था में देश के राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण किया जाता है। यहां तिरंगे झंडे के निर्माण में भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित 23 मानकों को ध्यान में रखकर ही तिरंगे झंडे का निर्माण किया जाता है। इनमें तिरंगे झंडे की रंगाई, कताई, बुनाई, कटाई, धुलाई चक्र की छपाई रस्सी, जिसमें सिर्फ सीसल वुड का उपयोग किया जाता है। झंडे में 100% कॉटन क्लॉथ इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा झंडे में प्रयोग होने वाली गुल्ली सागौन या शीशम की बनी होती है। झंडे की सिलाई के लिए धागे का उपयोग भी बड़ी सावधानी और मानकों के अनुरूप किया जाता है। झंडे का नाप उसके चक्र का नाम, कई मानकों के अनुरूप ही किया जाता है। 

डिमांड से ज्यादा ऑर्डर 

खादी संघ के राष्ट्रीय ध्वज निर्माण शाला के पदाधिकारी वासुदेव शर्मा के अनुसार उनके पास हर घर तिरंगा अभियान को लेकर विभिन्न राज्यों से तिरंगे झंडे के ऑर्डर आ रहे हैं। लेकिन सीहोर से मिलने वाला झंडे के निर्माण में प्रयोग होने वाली पौनी उन्हें नहीं मिल पा रही है। इसलिए वह कई जगह ऑर्डर पूरा नहीं कर पा रहे हैं, उन्होंने यह भी अपील की है कि आमजन अपने घर में तिरंगा झंडा शान से तिरंगा झंडा फहराया, लेकिन झंडा सिर्फ तय मानकों के अनुसार बना हुआ ही इस्तेमाल करें। इसके अलावा अगर कोई झंडे का इस्तेमाल करता है, तो यह सीधे तौर पर राष्ट्रीय ध्वज के अपमान की श्रेणी में आता है। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों और प्रदेश सरकार से भी मानकों के अनुरूप लोगों को झंडा उपलब्ध कराने की मांग की है।

क्रांतिकारियों के रक्त से सिंचित है तिरंगा 

इसलिए आप भी शान से तिरंगा झंडा अपने घरों पर तिरंगे झंडे को फहराये लेकिन मानकों के अनुरूप बने हुए राष्ट्रीय कृत ध्वज निर्माण शालाओं में तैयार हुए तिरंगे झंडे को ही प्रयोग करें। देश की आन बान शान तिरंगा कई क्रांतिकारियों के रक्त से सिंचित है। इस की आन बान और सम्मान की चिंता करना हमारी जिम्मेदारी है तो आइए हम भी शामिल हो जाएं हर घर तिरंगा अभियान में वाकई ग्वालियर में बना हुआ देश में शान से लहराए जाने वाला वाला तिरंगा झंडा, पूरे सम्मान से तैयार होता। 

 

Devendra Singh

This news is News Editor Devendra Singh