सुमित्रा महाजन का बड़ा बयान- सियासत में तय नहीं की जा सकती सेवानिवृत्ति की उम्र

4/10/2019 4:47:00 PM

इंदौर: आम चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा के बाद लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि, 'राजनीतिक क्षेत्र की उस सरकारी नौकरी से कतई तुलना नहीं की जा सकती, जिसमें निश्चित उम्र पूरी करने पर हर कर्मचारी को रिटायर होना ही पड़ता है।' ‘ताई' के नाम से मशहूर भाजपा की वरिष्ठ नेता महाजन का यह अहम बयान ऐसे वक्त सामने आया है, जब पार्टी द्वारा 75 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं को लोकसभा चुनाव नहीं लड़ाने के फॉर्मूले पर सियासी गलियारों में चर्चा जारी है। 
 

लोकसभा अध्यक्ष ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि, "राजनीति से सरकारी नौकरी की बिल्कुल भी तुलना नहीं की जा सकती। सरकारी नौकरी में सेवानिवृत्ति की उम्र पहले से तय होती है। लेकिन राजनीति में ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि आम जनता के दुःख-सुख से सीधे जुड़े राजनेता न तो घड़ी देखकर काम करते हैं, न ही वे बंधा-बंधाया जीवन जीते हैं।"


शाह के बयान पर दी प्रतिक्रिया
वहीं शाह ने बीते दिनों अपने बयान में कहा था कि, 'उनकी पार्टी का फैसला है कि 75 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं को लोकसभा चुनावों का टिकट नहीं दिया जायेगा। हालांकि, शाह ने महाजन का नाम नहीं लिया था। लेकिन 12 अप्रैल को 76 वर्ष की होने जा रहीं महाजन ने पांच अप्रैल को खुद घोषणा कर दी थी कि वह आसन्न लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। शाह के इस बयान के बारे में महाजन ने कहा, "लोकसभा अध्यक्ष के पद पर आसीन होने की मर्यादा के कारण मैं पिछले पांच साल के दौरान केंद्रीय भाजपा संगठन की बैठकों में शामिल नहीं हुई हूं। फिलहाल मुझे इसकी प्रामाणिक जानकारी नहीं है कि उम्रसीमा की नीति पार्टी की किस बैठक में तय की गयी है? इस बारे में खुद शाह ही कुछ कह सकते हैं।"

 

कांग्रेस पर साधा निशाना 
भाजपा की वरिष्ठम नेताओं में शुमार महाजन ने हालांकि कहा, "अगर उम्र को लेकर भाजपा संगठन में वाकई कोई नीति तय की गयी है, तो सभी पार्टी कार्यकर्ताओं को इसका पालन करना ही है।" महाजन ने एक सवाल पर कहा, "अभी मेरी इतनी उम्र भी नहीं हुई है कि मुझे राजनीति से संन्यास लेना पड़े। मैं भाजपा के लिये आज भी काम कर रही हूं और आगे भी करती रहूंगी।" उन्होंने विपक्षी दलों के "महागठबंधन" पर निशाना साधते हुए कहा, "केंद्र में सरकार बनाने के लिये किसी भी सियासी खेमे के पास कम से कम 272 लोकसभा सीटें होनी चाहिये। लेकिन तथाकथित महागठबंधन में शामिल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इतनी सीटों पर मिलकर चुनाव तक नहीं लड़ रहे हैं। इस गठजोड़ के दल अलग-अलग राज्यों में बंटे हैं और प्रधानमंत्री पद की दावेदारी के संबंध में किसी एक विपक्षी नेता के नाम पर सहमत भी नहीं हैं।" 

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