खुद भू-माफिया बन बैठा तहसीलदार, पट्टे की जमीन भू-माफिया को दे डाली, पंजाब केसरी का बड़ा खुलासा

8/2/2020 7:16:22 PM

जबलपुर (विवेक तिवारी): मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश से माफिया राज को खत्म करने का अभियान चला रहे हैं। यह अभियान तो 15 महीने की सरकार में रहे कमलनाथ ने भी चलाया, लेकिन माफिया कहां खत्म हुए, वे तो लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। अब जो खुलासा पंजाब केसरी करने जा रहा है, उसमें तो अधिकारी ही माफिया बन बैठे हैं और जमीन की खरीद-फरोख्त में खुलेआम खेल कर रहे हैं। पंजाब केसरी की तहकीकात में जबलपुर में बड़ा खुलासा हुआ है, जहां पर एक तहसीलदार ने अहस्तांतरणनीय भूमि को हस्तांतरणनीय बनाकर माफिया के हाथों बेच डाला। मामला पनागर तहसील का है, जहां जमीनों के कई फर्जीवाड़े आए दिन सामने आ रहे हैं, जिनमे एक के बाद एक लगातार कई मामलों में खुलासे हो रहे हैं। पूर्व में पदस्थ कुछ पटवारियों ने कहीं बंटवारे के नाम पर तो कहीं फोती दुरुस्ती के नाम पर या त्रुटि सुधार के नाम तो कहीं रिकॉर्ड सुधार के नाम से कई मामलों में भ्रष्टाचार कर सिर्फ अपनी जेब भरने की लालच मे शासन प्रशासन को करोड़ो रुपयों के राजस्व का चूना लगाया। जिनके लगातार कई खुलासे किये जाने के बाद भी प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा किये गए तमाम दावों के बाद भी इन पर किसी भी तरह का नियंत्रण नहीं रहा है। जो ताजा फर्जीवाड़ा सामने आया है, उसमे पनागर के  तत्कालीन तहसीलदार प्रदीप मिश्रा और हल्का पटवारी रुचि कोष्ठ ने पैसों के लालच में अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कलेक्टर के अधिकार स्तर का आदेश कर नया कारनामा कर दिया है, और पौने दो एकड़ के लगभग की पट्टे की अहस्तांतरणनीय जमीन को हस्तांतरणीय बना दिया। इतना ही नहीं इस जमीन में रिकॉर्ड सुधार के बाद आवेदक ने किसी अन्य के नाम से रजिस्ट्री भी करा दी । अब जब मामला सामने आया, तो अब प्रशासनिक अधिकारी अपनी दलीलें देकर स्वयं को बचाने लग गए हैं। 

निपानिया की जमीन पर खेला गया बड़ा खेल...  
मामला साल  2019-20 में दर्ज पनागर तहसील के अंतर्गत ग्राम निपनिया का है। जहां स्थित भूमि जिसका खसरा नंबर 235 एवं रकवा 0.720  जो कि प्रशासन ने गजाधर वल्द कंधीलाल को शासकीय पट्टे पर दी गई थी, उस भूमि पर पहले से ही गजाधर का नाम कई वर्षों से शासकीय पट्टेदार के नाम से समस्त रिकॉर्डों में दर्ज था। लेकिन उस खसरे में शासन द्वारा प्राप्त अहस्तांतरित भूमि स्पष्ट दर्ज था, जिसके बाद उक्त भूमि को किसी अन्य के नाम से हस्तांतरित नही किया जा सकता था। लेकिन पनागर तहसील में पदस्थ तत्कालीन तहसीलदार प्रदीप मिश्रा ने सांठ-गांठ के चलते भूमि का विक्रय कर ज्ञानेंद्र सिंह के नाम से हस्तांतरण करा दिया गया। इस पूरे मामले की तह तक जाने में पनागर के सहयोगी पत्रकार प्रकाश प्यासी ने पंजाब केसरी के साथ मिलकर जो बड़ा खुलासा किया है उस से सवाल उठ रहा है की असल माफिया कौन है।

त्रुटि सुधार के नाम से हटा दिया अहस्तांतरणीय... 
संबंधित भूमाफिया ने कई वर्षों से तहसील कार्यालय में उक्त हल्के में पदस्थ अन्य पटवारी से रिकॉर्ड में दर्ज अहस्तांतरणीय हटवाने के लिए चक्कर लगा रहे थे। लेकिन मामला अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र में नहीं आने के कारण उन्होंने इनकार कर दिया। लेकिन उस हल्के में आये नए पटवारी ने तहसील कार्यालय में पदस्थ तत्कालीन तहसीलदार से सांठ-गांठ कर त्रुटि सुधार के नाम से आवेदन लगाकर मामले में अपने अधिकार क्षेत्र से हटकर कलेक्टर के अधिकार क्षेत्र का आदेश करवा दिया। 

मामला नायाब तहसीलदार का आदेश किया तहसीलदार ने...
उक्त मामले के लिए भूमाफिया ने तहसील कार्यालय में नायाब तहसीलदार की कोर्ट में चक्कर लगाए, लेकिन अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला होने के कारण किसी ने मामले को दर्ज नही किया। हल्का पटवारी ने मामले में तत्कालीन तहसीलदार से सेटिंग कर ली और मामले को नायाब तहसीलदार की कोर्ट में प्रकरण दर्ज कराकर तहसीलदार ने अपने हस्ताक्षर से मामले में आदेश कर दिया, जिसके तुरंत बाद भूमि किसी अन्य के नाम से विक्रय कर उसमें नामांतरण भी करवा दिया गया। 

बिना आवेदक की उपस्थिति में 20 दिनों में हो गया आदेश... 
मामले में हल्का पटवारी की तत्कालीन तहसीलदार से सांठ-गांठ होने के बाद सिर्फ नाम के लिए प्रकरण दर्ज कर 20 दिनों में आदेश कर दिया गया। जबकि पेसी के दौरान प्रकरण में आवेदक की उपस्थिति की आवश्यकता भी नही समझी गई, न ही मामले में पटवारी प्रतिवेदन के लिए कोई नोटिश जारी किया गया और न ही मामले में आम इश्तहार लगाने की आवश्यकता समझी गई। फिर भी पटवारी प्रतिवेदन लगाकर सिर्फ़ एक ही पेशी में बिना आवेदक की उपस्थिति में सिर्फ 20 दिनों के अंदर मामले में अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कलेक्टर के स्तर का आदेश कर दिया। जिसके बाद उक्त भूमि को ज्ञानेंद्र सिंह सिखरवार को बेच दी गई। 

इनका कहना है...

हमारे पास न्यायालय से रिकॉर्ड सुधार के नाम से अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए केस आया था। जिस पर हमने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, इसमे हमारी कोई गलती नही है आप तहसीलदार से बात करें- रुचि, हल्का पटवारी

मामला हमारी कोर्ट का है, जिसमें प्रकरण दर्ज कराकर ही आदेश किया गया है लेकिन यह मामला हमारी पदस्थापना से पहले का है जिस कारण हमें इसकी विस्तृत जानकारी नही थी, पर अब मामला हमारे संज्ञान में आया है, जिसकी विधिवत जांच कराई जाएगी
'नेहा जैन, नायाब तहसीलदार पनागर'

इस मामले पर आपने बताया है, इस मामले की जांच करेंगे तब पूरे मामले की तह तक जाया जा सकता है>
'नमः शिवाय अरजरिया, एसडीएम'

 

Vikas kumar

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