लोगों की नींद उड़ाने वाला 6 साल का बाघ हुआ पिंजरे में हुआ कैद, पकड़ने में वन विभाग के छूटे पसीने, कहानी सुन चौक जायेंगे आप

10/17/2022 11:50:15 AM

भोपाल(विवान तिवारी): राजधानी के मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानी की जिसे आप मैनिट के नाम से भी जानते है। वहां बीते कुछ दिनों से घूम रहे बाघ टी-21421 को पकड़कर रविवार की देर शाम नर्मदापुरम के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के जंगल में छोड़ दिया गया। उसे पकड़ने के लिए शनिवार की रात मैनिट परिसर में एक पिंजरे में शिकार छोड़ कर रखा गया था और जब वो शिकार के लिए आया तो अंदर फंस गया। वन विभाग ने उसे फंसाने के लिए रणनीति के तहत पिंजरे के अंदर बकरा बांध रखा था।

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रविवार की सुबह जब बाघ को वन विभाग के अमले ने पिंजरे में बंद देखा तो पिंजरे के अंदर ही उसे बेहोश किया गया और स्वास्थ्य की प्राथमिक जांच भी की गई। जांच में सबकुछ ठीक पाए जाने के बाद लोगों की नींद उड़ाने वाले बाघ को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व भेज दिया गया। जिसे अब वहां एक बाड़े में छोड़ दिया गया है। ऐसा कहा जा रहा है कि भोपाल में पिंजरे के अंदर में बाघ के खुद से कैद होने की यह मप्र की पहली घटना है। आमतौर ऐसा होता है कि जंगल से भटककर शहरों तक पहुंचने वाले बाघों को या तो भगाना पड़ता है या फिर उन्हे बेहोश करके दूसरे जंगल में छोड़ना पड़ता है।

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• चार मवेशियों पर कर चुका था हमला, एक की मौत भी हो गई थी

जानकारी के अनुसार, राजधानी भोपाल के सेंटर इलाका कहे जाने वाले न्यू मार्केट से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित मैनिट परिसर के अंदर बीते कुछ 10- 12 दिनों से बाघ देखा जा रहा था। वही परिसर के अंदर बाघ टी-1234 देखा गया था। वही उसने चार मवेशियों पर हमले भी किए थे, जिसमें एक की मौत होने की बात सामने आई थी। इन हमलों को लेकर निगरानी करने के लिए 50 वनकर्मियों को अलग-अलग शिफ्ट में मैनिट में तैनात भी किया था। वही 21 ट्रैप कैमरे लगाए गए थे जो लगातार बाघ के मूवमेंट पर अपनी नजरे गड़ाए हुए थे। ऐसी जानकारी मिल रही है कि यह बाघ बाघिन टी-123 की संतान है।

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• उसे पकड़ने के लिए ये तीसरा पिंजरा था

बता दे कि मैनिट का परिसर करीब 650 एकड़ में फैला हुआ है। परिसर में मुख्य भवन, हास्टल समेत अन्य दफ्तर है। इन सब से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर एक तालाब है जो परिसर में ही स्तिथ है। उसी आस पास में बाघ देखा जा रहा था। उसे पकड़ने के लिए पहले एक पिंजरा लगाया गया फिर इनकी संख्या दो कर दी गई।

बावजूद इन सबके वो पकड़ में नहीं आया तो मप्र वन्यप्राणी विभाग के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक शुभरंजन सेन, वन विहार नेशनल पार्क के डाक्टर अतुल गुप्ता समेत अन्य विशेषज्ञों ने बाघ भ्रमण वाले क्षेत्र का मुआयना किया। इसके बाद पहले से लगे पिंजरो की जगह में बदलाव किया गया। इसके बाद शनिवार की शाम को औबेदुल्लागंज वन मंडल से एक तीसरा पिंजरा लाया गया। तब जाकर उसमे बाघ अंदर दाखिल हुआ और इतने में ही गेट बंद हुआ और इस तरह बाघ को पकड़ा गया।


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Content Writer

meena

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