जातिवाद का दंश झेल रहे दलित... दूल्हे को दबंगों ने घोड़ी पर न चढ़ने की धमकी, पुलिस के साए में निकली बारात

4/22/2022 8:02:21 PM

दमोह(इम्तियाज चिश्ती): ये सही है भले ही मौजूदा सरकारें समानता की बात करें लेकिन आज भी बुंदेलखंड इलाकों में दलितों की हालत बद से बदतर है। कहीं घाटों से पानी पर पाबंदी तो कहीं पैरों के तलवे चटवाना तो कही दूल्हा अपनी ही शादी में घोड़े पर सवार नहीं हो सकता। जिसे एक दिन का राजा कहा गया है। जी हां ये कोई कहानी नहीं बल्कि आज के विकसित भारत को मुंह चिढ़ाती असल तस्वीर है जहां आज़ादी के 70 साल बीत जाने के बाद भी दलितों को शादी विवाह में घोड़ी पर बैठकर बारात निकालने पर पाबंदी है और ये पाबंदी भी ग्रामीण क्षेत्रों के दबंगों ने लगा रखी है लेकिन कहते है ना आज का युवा पढ़ेगा तो सवाल भी करेगा और उन भी वही मामला दमोह का है जहां उत्तम अहिरवार के बेटे नीरज अहिरवार ने अपनी ही शादी में घोड़ी पर ना बैठने की धमकी देने वालों से कर दिया सवाल ना सिर्फ उनसे बल्कि जिला प्रशासन और पुलिस कप्तान से भी किया सवाल की ये केस समानता का भारत है।

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फिर क्या जो हुआ सो सबने देखा जी हां दमोह जिले के इमलिया चौकी क्षेत्र अंतर्गत आने वाले सगोरिया गांव में एक युवक के द्वारा वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल किया गया था। जिसमे नीरज अहिरवार नाम के युवक द्वारा अपनी शादी में गांव के ही कुछ आसामाजिक तत्वों के द्वारा शादी में व्यवधान पैदा किए जाने की बात  कही थी । ये भी कहा था कि तूँ यापनी शफी में घोड़ी पर नहीं बैठेगा लेकिन आज के इस सभ्य सम्पन्न भारत के दबंग समाज के असामाजिक तत्वों ने ये नहीं सोचा कि आज का युग सोशल मीडिया का युग है। नीरज अहिरवार ने एक वीडियो वायरल कर दिया और साथ ही इसकी शिकायत दमोह कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से ज्ञापन के मध्यम से की।  यही ख़बर  राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त राज्य अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य प्रदीप अहिरवार तक भी जा पहुंची और वे बिना देर किये दमोह युवक के गांव शादी समारोह में शामिल होने पहुंचे और पुलिस की पहरेदारी के बीच दलित युवक की गांव में निकाली गई बरात।

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आजादी के 75 साल बीत जाने के बावजूद भी आज दलितों के लिए शान से बरात निकलने का भी हक नहीं मिल सका है और सरकार इनके हितों को ध्यान में रखते हुए तरह तरह की बातें करती है। लेकिन जमीनी हकीकत क्या है यह आप सभी के सामने है। बहरहाल आज बारात के वक्त युवक की सूझ बूझ से शिकायत करने  के बाद  बारात  निकाली गई और बारात के दौरान गांव छावनी में तब्दील रहा। जहां सुरक्षा व्यवस्थाओं के मद्दे नजर भारी मात्रा में पुलिस बल मौके पर मौजूद रहा।

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वहीं इस संबंध में जब हमने राज्य अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य प्रदीप अहिरवार से बात की तो उन्होंने कहा कि अभी दमोह की इमलिया चौकी अंतर्गत आने वाले ग्राम सागौरिय में एक मामला सामने आया था जहां गांव के ही कुछ आसामाजिक तत्वों के द्वारा दलित समुदाय के युवक की घोड़ी पर बैठकर बारात न निकाले जाने का विरोध किया था। जहां पुलिस की बंदूकों के साए में दलित युवक की बारात निकाली गई थी वही इसी तरह का दमोह में 24 घण्टे में दूसरा मामला इसी तरह का सामने आया दमोह की सीमा से लगे ग्राम लक्ष्मनकुटी के ग्राम मानपुरा से यहां भी गांव के दबंगों ने धर्मेंद्र अहिरवार को घोड़ी पर बैठने से मना किया था जिसके बाद प्रशासन की दखल के बाद पुलिस की मौजूदगी में दूल्हे राजा की बारात घोड़ी पर निकल पाई।


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Content Writer

meena

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