इस जानलेवा बीमारी के लिए स्वास्थ्य विभाग अपना रहा गैर-जिम्मेदार रवैया

9/15/2018 5:15:51 PM

इंदौर : शहर में डेंगू के प्रकोप के बीच स्वाइन फ्लू का अलर्ट जारी किया है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग अपने ही अलर्ट पर कितना गंभीर है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि रोज की बजाय संदिग्ध मरीजों के नमूने सप्ताह में एक बार भेजे जाते हैं। इंटीग्रेटेड डिसीज सर्विलांस प्रोजेक्ट की टीम बनाकर स्वास्थ्य विभाग ने मौसमी बीमारियों से निपटने के लिए कंट्रोल रूम बनाया है। यहां रोजाना समीक्षा बैठक कर मरीजों की स्थिति और मच्छरों पर नियंत्रण की रणनीति बनाने के दावे किए जाते हैं। अब तक इसका कोई प्रभाव जमीनी स्तर पर नजर नहीं आ रहा।

पहले इंदौर में वायरोलॉजी लैब नहीं होने के कारण नमूने जबलपुर मेडिकल कॉलेज भेजे जाते थे। बीते वर्ष से भोपाल एम्स की लैब में नमूने भेजे जा रहे है। जहां छुट्टी के दिन छोडक़र रोज प्रदेशभर से आए नमूनों की जांच होती है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने सरकारी और निजी अस्पतालों को संदिग्ध मरीज के नमूने लेकर एक सप्ताह तक अपने पास रखने के निर्देश दिए हैं।
सप्ताह में एक बार एक कर्मचारी को नमूने लेकर बस से भोपाल भेजा जाता है। दो-तीन दिन बाद रिपोर्ट मिलती है। तब तक मरीज का लक्षण के आधार पर इलाज कर छुट्टी दे दी जाती है। ऐसे में किसी मरीज को स्वाइन फ्लू हो भी तो इलाके में सुरक्षा उपाय शुरू करने में काफी देर हो जाएगी। इस वर्ष अब तक शहर से 176 मरीजों के नमूनों की जांच कराई गई है। साल की शुरूआत में दो मरीजों की पुष्टी हुई थी, जिनमें से एक महिला की मौत हो चुकी है। 
 

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