शिवराज के राज में हावी माफियाराज! दर्जनों आपत्ति के बाद भी निगम ने MH रेसिडेंसी को दी हरी झंडी
2/3/2021 6:14:26 PM
जबलपुर(विवेक तिवारी): मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान माफिया राज को खत्म करने की कसम खा चुके हैं। हर एक मंच में अब वे कहते हैं कि मामा अब अलग मूड में हैं, लेकिन मामा के मूड यानी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के मुड के अनरूप क्या उनके अफसर चल रहे हैं? इस पर अब सवाल उठने लगे हैं। सवाल इसलिए उठ रहे है कि छोटे-मोटे माफिया पर तो एक्शन लिया जाता है लेकिन सिस्टम में जो असल माफिया घुस चुके हैं। उनको साफ करने का काम अफसर नहीं कर पा रहे हैं। ये आरोप है जबलपुर निवासी अभितेन्द्र राय के।
दरअसल, जबलपुर जिले में एमएच रेसिडेंसी है जोकि हर्ष पटेल मंगल पटेल और बिल्डर प्रदीप गोटिया द्वारा एमएच रेसिडेंसी के नाम से कछपुरा में विकसित की जा रही है। यहां पर नियमों की तो धज्जियां उड़ा दी गई हैं और अफसरों ने इस कॉलोनी को विकसित करने के लिए भरपूर साथ दिया लिहाजा यह कॉलोनी बनना शुरू हो चुकी है। बताया जा रहा है कि एम एच रेसिडेंसी जो यहां बन रही है वहां तक जाने के लिए कोई भी सड़क नहीं थी जिन रास्तों से सड़क को होकर जाना है वहां पर लोगों की निजी भूमि हैं लिहाजा उन सभी को अपने पक्ष में बिल्डर न कर पाए तो उन्होंने सरकारी सिस्टम को ही खरीद लिया और अब यहां पर बेधड़क कॉलोनी का निर्माण किया जा रहा है। अवैध तरीके से सड़क सरकारी घोषित कर दी गई। निजी फायदे के लिए और अब जिस तरह से यहां पर कॉलोनी का निर्माण हो रहा है उससे भविष्य में यहां जो लोग रहेंगे उनके लिए भी मुसीबत आएगी कि कानूनी अवैध होगी और वह सड़क पर आ सकते हैं।
नगर निगम कमिश्नर अनूप कुमार सिंह को शिकायतकर्ता ने जो शिकायत दी है उसमें एमएच रेसिडेंसी का निर्माण करने वाले हर्ष पटेल एवं मंगल सिंह पटेल पर आरोप लगाया है कि उन्होंने विकास अनुमति लेते वक्त कई फैक्ट छुपाए जैसे कि शिकायतकर्ता अभितेंद्र राय की भूमि भागीदारी फर्म भाव्या एसोसिएट की है जिसमें की वे फर्म के एक लाभ एवं हानि के पार्टनर है तथा संबंधित भूमि के विक्रय या अन्य प्रयोजन हेतु अधिकृत हस्ताक्षर करने का अधिकार भी रखते है। दूसरा फैक्ट इसमें यह दिया गया कि भूमि भाव्या एसोसिएट फॉर्म की होने के बावजूद फर्म के एक पार्टनर हरीश हटवानी द्वारा उक्त संपत्ति में से 8 वर्ग मीटर की संपत्ति कॉलोनी के लिए जा रहे एक रास्ते के उद्देश्य धारा 173 एमपीएलआर कोड में निहित प्रावधानों के तहत अनाधिकृत रूप से परित्याग कर दी थी। इसे 21 मई 2019 को तहसीलदार ने शासकीय मार्ग घोषित कर दिया गया जो कि नियमों के विपरीत है इसके अतिरिक्त तहसीलदार के इस आदेश को चुनौती अभितेंद्र राय ने अनुविभागीय अधिकारी अधारताल के समक्ष भी की है लेकिन इन सब बातों को दरकिनार करके विकास अनुमति दी गई आवेदन में यह भी उल्लेख किया गया है कि एसडीएम ने इस पूरे प्रकरण में स्टे भी दे दिया गया है उसके बावजूद यहां पर कॉलोनी का विकास कार्य चल रहा है शिकायतकर्ता ने इसमें एक अन्य फैक्ट यह भी दिया कि इसी जमीन से जुड़ा एक विवाद अतिरिक्त जिला न्यायाधीश में विचाराधीन है लिहाजा जब किसी भी भूमि पर इतने सारे विवाद हो तो कॉलोनी विकास अनुमति में निहित जो पैरा 25 है जिस में साफ कहा गया है कि इन तत्वों को अगर कोई छुपाता है तो उसकी विकास अनुमति को निरस्त कर दिया जाए लिहाजा शिकायतकर्ता ने विकास अनुमति को रद्द करने की मांग आयुक्त नगर निगम समक्ष की है।
नगर निगम आयुक्त के समक्ष जो शिकायत की गई है उसमें यह साफ-साफ कहा गया है कि जो कॉलोनी विकसित की जा रही है उसमें विकास अनुमति में निहित नियम एवं शर्तों का उल्लंघन किया गया है लिहाजा कॉलोनी की विकास अनुमति को निरस्त कर दिया जाए शिकायतकर्ता अभितेन्द्र राय ने आयुक्त नगर निगम जबलपुर को जो शिकायत दी है उसने उल्लेख किया गया है कि अनुमोदित स्थल मानचित्र के विपरीत किए गए कार्य, गलत या असत्य जानकारी आवेदक द्वारा प्रस्तुत कथन असत्य पाए जाने भू सीमा विवाद उत्पन्न होने की दशा में किसी भी सक्षम न्यायालय में, भूमि से स्वामित्व से संबंधित कोई प्रकरण प्रचलन में होने या किसी प्रकार की जानकारी इस कार्यालय से छिपाए जाने पर तथा पत्र में उल्लेखित किसी भी शब्द का उल्लंघन होना सिद्ध पाए जाने पर अनुज्ञा मध्य प्रदेश भूमि विकास नियम 2012 के नियम 25 के प्रावधानों के रिव्होक दी जाएगी जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी आवेदक की मानी जाए।
विकास अनुमति देते वक्त भवन अधिकारी से सांठगांठ
एमएच रेसिडेंसी को विकास अनुमति देते वक्त समस्त आपत्तियों का अवलोकन नियमों के तहत भवन अधिकारी को करना था लेकिन नगर निगम के भवन अधिकारी अजय शर्मा ने तमाम आपत्तियों को भी दरकिनार कर दिया और एक पक्षीय तरीके से विकास अनुमति जारी कर दी अब हाल यह है कि विकास अनुमति तो जारी कर दी गई है लेकिन जिस तरह से शिकायतकर्तायो की संख्या बढ़ती जा रही है और मामला अदालत तक भी पहुंच चुका है ऐसे में यहां पर जो प्लॉट खरीद चुके हैं उनके लिए किसी खतरे से कम नहीं क्योकि विकास अनुमति निरस्त होगी और यहां पर लगाया हुआ उनका पैसा भी डूब जाएगा यानी कि जो प्लॉट यहां पर खरीद रहे हैं वह प्लॉट भी विवादों में आ जाएंगे जबलपुर में ऐसे कई डुप्लेक्स है जो अभी विवादों में चल ही रहे हैं लिहाजा जो यहां पर जमीन खरीद रहे हैं उनको विशेष ध्यान देना होगा नहीं तो मुसीबत उनके भी गले पड़ सकती है।