यहां गिरा था माता सती का निचला जबड़ा, बड़ी खेरमाई के रूप में भक्तों की मनोकामना कर रही हैं पूर्ण, जानिए मां के अद्भुत शक्तिपीठ के बारे में

3/22/2023 7:05:12 PM

जबलपुर (विवेक तिवारी): ऐतिहासिक श्री बड़ी खेरमाई मंदिर के सैकड़ों वर्षों की परंपरा अनुसार इस वर्ष भी मां जगदंबा श्री बड़ी खेरमाई माता का वैदिक रीति से पूजन आराधना का आयोजन चैत्र नवरात्र  को परंपरानुसार धूमधाम से मनाया गया, जहां सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ी।

52 वां गुप्त शक्ति पीठ हैं। बड़ी खेरमाई देवी पुराण में वर्णित 52 वें शक्तिपीठ पंचसागर शक्तिपीठ के रूप में मान्यता है। आठ सौ वर्ष पूर्व के कल्चुरि क्षत्रिय राजाओं के शिलालेख के अनुसार बड़ी खेरमाई मंदिर पञ्च सरोवर गुप्त शक्तिपीठ के रूप में 52वीं शक्तिपीठ हैं। इस स्थान पर देवी का निचला जबड़ा गिरा था। इस स्थान पर देवी को वरही के नाम से जाना जाता है जो समय काल में अपभ्रंस होकर बड़ी खेरमाई के रूप में जाने जाना लगा। शास्त्रों में इस स्थान का उल्लेख के अनुरूप प्राचीन काल में मंदिर के आसपास पंच सरोवर थे जो समय काल में विलुप्त हो गए।

भानतलैया भी भानु तालाब के नाम से जाना जाता था परंतु अब उसका अस्तित्व कालांतर में समाप्त हो गया। माता के जबड़े को शिला स्वरूप में हजारों वर्षों से पूजा जाता रहा एवम वर्षों में इस शिला के आसपास घनघोर जंगल उग आए। सन 1434 में गढ़ा के गौड़ शासक अमानदास पर माधोगढ़ के सुल्तान ने आक्रमण कर उसे पराजित कर गढ़ा राजधानी में कब्जा कर लिया। राजा घायल अवस्था में भाग कर जंगल में पहुंचा एवंम अचेत हो कर शिला स्वरूप देवी के निकट गिर गया।

अचेत अवस्था में देवी ने उसे दर्शन दिए एवंम उसे आशीष प्रदान कर पुनः हमला करने को कहा। होश आने पर राजा ने अपने शरीर में नवीन ऊर्जा का संचार पाया एवंम शेष सैनिकों को एकत्र कर पुनः आक्रमण किया और विजय प्राप्त की। इस विजय के पश्चात अमानदास ने संग्राम शाह की पदवी धारण की और शिला देवी के ऊपर सिंघासन बना कर वर्तमान देवी की मूर्ति की स्थापना की एवंम उनके बायीं और दक्षिणमुखीश्री हनुमान एवंम  दाईं ओर श्री कालभैरव की मूर्ति प्रतिष्ठापित की।

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