शारदा-गोदावरी माइंस के मजदूर धरने पर बैठे, बोले- हमें काम नहीं दिया जा रहा, प्रबंधक नहीं मान रहे मांगें

12/13/2021 6:02:18 PM

खडगांव/कांकेर (लीलाधर निर्मलकर): जल, जंगल, जमीन… यह ग्रामीण भारत की वह आवश्यकता है। जिससे ग्रामीण जनजीवन की रोजी रोटी जुड़ी होती है। जब वही रोजी रोटी कोई दूसरे व्यक्ति अपने फायदे के लिए उपयोग करके वहां की लोगों को बेगारी बेरोजगारी और मजबूरी कि वह दलदल में ढकेल दे। जिससे अपने हक को मांगने के लिए भूखा प्यासा रास्ते पर बैठना पड़े तो इससे बड़ा दुर्भाग्य किया होगा।

मामला कांकेर सीमावर्ती क्षेत्र मोहला बालोद जिला में संचालित शारडा और गोदावरी माइंस में कार्य करने वाले मजदूर दो सप्ताह से ज्यादा क्रमिक भूख हड़ताल में बैठे। और इसके बावजूद गरीब मजदूरों की बात सुने के लिए ना तो माइंस प्रबंधक आई और नहीं प्रशासनिक अधिकारी आए को देखने सुने वाला नही है। शारदा माइंस और गोदावरी से लगभग 50 से ज्यादा गांव प्रभावित है, और यह 1500 से ज्यादा मजदूर कार्य करते हैं। पर माइंस प्रबंधक ने मजदूरों को कार्य में रखने के लिए शर्त रखी है, की वह किसी संगठन या किसी संघ में शामिल ना हों।



इस मामले को जानने के लिए माइंस कंपनी में कॉंटेक्ट भी क्या गया, पर कोई जवाब नहीं आया। वहीं संयुक्त खदान मजदूर संघ और भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी के बैनर तले धरना प्रदर्शन कर रहे मजदूरों की कहना है की यह को पुराना मजदूर को काम में रखा जाए। और यह की ग्रामीणों को वह सभी सुविधा दिया जाए जिसके वह हकदार है। यह माइंस पूरी 110 हेक्टेयर में फैली हुई है। यहां से रोजाना लाखों करोड़ों का लौह अयस्क निकलता है। पर इस जंगल पहाड़ियों के वास्तविक मालिकों, यहां के स्थानीय निवासियों को मजदूरी के लिए तरसना पड़ रहा है। इसके बावजूद माइंस प्रबंधक की निरंकुशता यह की भोले भाले वनवासियों की गाल में तमाचा है। यह मजदूरों की इस स्थिति को देखने पर यह तो स्पष्ट हो गया है, की यह इन ग्रामीणों की किस तरह से यह माइंस कंपनी खुलेआम शोषण कर रही है। पेशा काननू क्यों जरूरी हो गया है। 

Vikas Tiwari

This news is Content Writer Vikas Tiwari