जीवन में आई नई उमंग, जब मिला प्रधानमंत्री आवास, दीवारों पर जनजाति कलाकृतियां वाद्य यंत्र, नृत्य एवं अन्य आर्ट से सजाया सपनों का घर

Thursday, Jun 19, 2025-03:21 PM (IST)

रायपुर। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत जब सहोद्रा बाई धनुवार को अपने घर की चाबी मिली, तो यह महज चाबी नहीं थी यह उनके आत्मसम्मान और सुरक्षित भविष्य की शुरुआत थी। जांजगीर-चांपा जिले के जनपद पंचायत बम्हनीडीह अंतर्गत ग्राम पंचायत पुछेली खपरीडीह में धरती आबा जनजातीय उत्कर्ष अभियान के दौरान जब सहोद्रा बाई धनुवार को मंच से प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत निर्मित पक्के घर की चाबी सौंपी गई, तो उनके चेहरे की मुस्कान देखते ही बनती थी। उन्होंने मुस्कराते हुए सहजता से कहा, “चाबी तो दे दी आपने, लेकिन ताला नहीं दिया। ”उनकी यह मासूम बात सुनकर पूरा वातावरण मुस्कान और भावनाओं से भर गया। यह क्षण न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे गाँव के लिए गर्व और खुशी का था।

सहोद्रा बाई (ग्राम पंचायत खपरीडीह) के जीवन में भी प्रधानमंत्री आवास योजना ने खुशियाँ भर दी हैं। पाँच वर्ष पहले उनके पति का निधन हो गया था। उनकी तीन बेटियां और चार बच्चे हैं जिनकी शादी हो चुकी है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकान के साथ-साथ उज्ज्वला योजना, महतारी वंदन, पेंशन योजना और मनरेगा से 90 दिन की मजदूरी जैसे योजनाओं का लाभ पाकर उनका वृद्धावस्था जीवन सशक्त और आत्मनिर्भर बन गया है। 

जनजातीय कलाकृति से सजा ‘सपनों का घर’

प्रधानमंत्री आवास योजना से बने उनके नए घर में उन्होंने छत्तीसगढ़ की जनजातीय कला, वाद्य यंत्र, पारंपरिक नृत्य और अन्य पारंपरिक लोक संस्कृति से जुड़ी चित्रकारी को घर की दीवारों पर उकेरकर एक जीवंत संस्कृति का प्रतीक बना दिया है। उनका यह प्रयास न केवल कलात्मक है, बल्कि अब वह अन्य ग्रामीणों के लिए भी प्रेरणा बन चुकी हैं। उनके घर की सजावट पूरे जनपद पंचायत में चर्चा का विषय है और जनजातीय पहचान की झलक को दिखा रहा है। श्रीमती सहोद्रा बाई ने अपने घर के सामने एक पेड़ मां के नाम आम के पौधा लगाया है। वहीं उन्होंने जल सरंक्षण को बढ़ावा देने के लिए अपने घर में सोखता गड्ढा का भी निर्माण किया है। आवास योजना का लाभ मिलने पर उन्होंने प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री का आभार भी व्यक्त किया।


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Content Editor

Himansh sharma

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