हजारों गैलन जल में भी नहीं डूबा यह शिवलिंग, जानिए कैसे शिव ने तोड़ा था लोगों का अंहकार

3/1/2022 4:45:36 PM

बेमेतरा(भूपेंद्र साहू): कवर्धा के फणी नागवंशी राजाओं ने अपने शासनकाल में कई मंदिरों का निर्माण करवाया। बेमेतरा के सहसपुर में 13-14 वीं शताब्दी में फणी नागवंशी राजाओं ने बेमेतरा के सहसुपर में जुड़वा मंदिर का निर्माण करवाया था। यह जुड़वा मंदिर वास्तुकला की नायाब उदाहरण है। बताया जा रहा है कि मंदिर के गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग कभी नहीं डूबा।



आठ दशक पहले गांव में भीषण अकाल पड़ गया था। सहसपुर, नवकेशा, लालपुर, लुक, बुंदेली, गाड़ाडीह सहित आसपास क्षेत्र के ग्रामीणों ने शिव के मंदिर के गर्भगृह में बने शिवलिंग को महा शिवरात्रि के दिन जल अभिषेक कर डूबाने का निर्णय लिया था। योजना के मुताबिक मंदिर परिसर से लगभग 300 मीटर की दूरी पर स्थित जलाशय तक कतारबद्ध खड़े होकर जल अभिषेक किया। सुबह से शाम तक शिवलिंग पर हजारों गैलन जल चढ़ाया गया, लेकिन शिवलिंग को जल से डुबाने का प्रयास असफल रहा। हजारों गैलन पानी कहां गया किसी को पता नहीं चला। तब गांव वालों को यह लगा कि शिवजी को पानी से डुबाने का निर्णय एक अहंकार था।


इसके बाद से गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग की आस्था बढ़ती चली आ रही है। तब से हर साल महाशिवरात्रि में मेला लगता है। आसपास के ग्रामीण शिवलिंग का जल अभिषेक करने पहुंचते हैं। परंपरा के मुताबिक अभी श्रद्धालु मंदिर के गर्भगृह से जलाशय तक कतारबद्ध खड़े होकर जलाशय के जल से शिवजी का अभिषेक करते हैं। मंदिर के गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग के दर्शन मात्र से आत्मिक शांति मिल जाती है। महाशिवरात्रि और सावन में आसपास के ग्रामीणों के अलावा दूर से भी लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं। जुड़वा मंदिर बेमेतरा जिले के देवकर से 7 किलोमीटर दूर स्थित है। देवकर, नवकेशा होते हुए सहसपुर पहुंचा जा सकता है।

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