लॉक डाउन में पलायन कर रहे हजारों मजदूर, न रहे घर के न घाट के

3/30/2020 6:53:03 PM

डबरा(भरत रावत): देशभर में हुए 21 दिन के लॉक डाउन से देश के कोने कोने में रोजी रोटी कमाने गए मजदूरों का पलायन शुरू हो गया है। वहीं देश में यातायात संसाधन भारतीय लाइफ लाइन कही जाने वाली भारतीय रेल यात्रा भी बंद है।  जिससे लोगों ने  पैदल ही अपने घरों के लिए जाना शुरु कर दिया है। मजदूरों के उमड़ते सैलाब को देखकर देश के मुखिया नरेंद्र मोदी ने सभी प्रदेश सरकारों को निर्देशित किया है कि जो मजदूर जहां हैं उन्हें वहीं शेल्टर होम बनाकर रोका जाए। इसी कड़ी में डबरा में जमा हुए हजारों की संख्या में मजदूरों को डबरा प्रशासन ने समाजसेवियों के सहयोग से मंडी प्रांगण में रुकवाया है। जहां बाहर से आए सभी मजदूरों को खाने पीने के सामान के साथ मेडिकल चेकअप की व्यवस्था भी की गई है।

वही पर डबरा थाना प्रभारी यशवंत गोयल और एसडीओपी को सिंध नदी पुल जो कि दतिया और ग्वालियर जिले की सीमा है। वहां पर मजदूरों के जमा होने की सूचना मिली। जिसके बाद मौके पर पहुंचे डबरा थाना प्रभारी को ज्ञात हुआ कि मजदूरों को सीमा विवाद के चलते रोका गया है।दतिया जिला प्रशासन का कहना था कि वह अपनी सीमा में इन्हें प्रवेश नहीं करने देंगे। हालांकि मौके पर पहुंची डबरा sdm जयति सिंह ने भीड़ कम करने के लिए आग्रह किया तो कुछ मजदूरों को डबरा से दतिया की सीमा में प्रवेश दिया गया है। वहीं बाकी रह गए मजदूरों को डबरा प्रशासन मंडी प्रांगण में रोकने की व्यवस्था कर रहा है।

जिले और प्रदेश के बॉर्डर सील होने के बाद पलायन करने वाले मजदूरों की घर पहुंचने की समस्या और बढ़ गई। जहां सैकड़ों मील दूर से पैदल चलकर अपने घर का रास्ता अख्तियार किया था। अब उसमें प्रदेशों की सरकार ने लॉक डाउन का बैरी गेट लगा दिया है। हजारों की संख्या में मजदूर अपने सर पर अपनी गृहस्थी का बोझ लादकर अपने बच्चों को गोद में दबाकर अपने बूढ़े मां-बाप के साथ साथ जवान बेटियों को अपने घर सुरक्षित ले जाने कि जदोजहद कर रहे हैं। ये मजदूर दिल्ली, गुड़गांव, आगरा से दिन रात पैदल चलकर ग्वालियर और दतिया सीमा पर पहुंचे, लेकिन यहां प्रशासन का सख्त रवैया देख मजदूरों के आंसू निकलने लगे इसके बाद डबरा एसडीएम जयति सिंह ने वरिष्ठ अधिकारियों को इस मामले से अवगत कराया कि जिले की सीमा पर हजारों की संख्या में मजदूर वर्ग इकट्ठा हो गया है। जिसे दतिया प्रशासन निकलने नहीं दे रहा है तब जाकर प्रदेश स्तर पर सूचना दी गई जिसके बाद 4 से 5 घंटे बाद एक-एक करके वाहनों और पैदल मजदूरों को निकाला गया।

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