तेंदुए के बाद अब बाघिन का शिकार, वन्यप्राणियों के लिए काल बन रहे बेखौफ शिकारी

1/30/2021 7:23:13 PM

बालाघाट (हरीश लिल्हारे): मध्यप्रदेश में सर्वाधिक बाघ के लिये प्रसिद्ध बालाघाट जिले में इन दिनों शिकारियों का आंतक बढ गया है, और तेंदुए से लेकर बाघ की इन दिनों सामत आ पडी है। पिछले एक पखवाडे के अंदर तीन तेंदुए और हाल ही में 26 जनवरी को एक बाघिन के शिकार की घटना से वन विभाग में ही नहीं, बल्कि कान्हा नेशनल पार्क प्रबंधन में भी हलचल मची हुई है। हाल ही में हुई बाघिन की मौत के बाद उसके अंतिम संस्कार के साथ ही 6 संदिग्धों को गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ जारी है। लेकिन लगातार शिकार हो रहे वन्यप्राणियों, यहां तक कि तेंदुए और बाघ काल के गाल में समा रहे। इन घटनाओं से प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

आपको बता दें कि पहले उकवा और बालाघाट रेंज में तीन तेंदुये की मौत से हडकंप मची हुई थी, और अब हाल ही में कान्हा नेशनल पार्क के खापा रेंज के बम्हनी बीट में मादा बाघ की मौत ने वन विभाग और कान्हा टाईगर प्रबंधन को सकते में ला दिया है। लगातार शिकार से वन्यप्राणियों की मौत  से यह तो तय हो गया है कि अब बालाघाट के वन क्षेत्र और कान्हा नेशनल पार्क में वन्यप्राणी सुरक्षित नही है। आपको बता दे, पहली खबर उकवा के भुरूक में तेंदुए की लाश मिलने की सामने आई थी,  तो वहीं दूसरी खबर, बालाघाट रेंज के आगरवाडा बीट के प्लांटेशन से सामने आई। जहां एक नर तेंदुआ और एक गर्भवती मादा तेंदूआ का शव मिला था। इन दो घटनाओं के बाद अब कान्हा नेशनल पार्क के खापा रेंज बफर जोन में दो साल की मादा बाघ का फंदा लगाकर शिकार किया गया। जिसका शव बम्हनी बीट के फायर लाईन में देखा गया। जहां इस घटना की सुचना मिलते ही कान्हा नेशनल पार्क प्रबंधन में हडकंप मच गया। सुचना पर जब टीम मौके पर पहुंची तो बाघ के गले में बाइक के क्लच वॉयर का फंदा फंसा हुआ था। लगातार वन्यप्राणियों के शिकार की घटना से जहां वन विभाग और कान्हा प्रबंधन के साथ साथ टाइगर प्रबंधन के आला अधिकारी को निष्क्रिय माना जा रहा है। वहीं जानकर इन घटनाओं से आहत हैं। जो शिकार की इन घटनाओं की उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रहे है।

कान्हा नेशनल पार्क जो वन्यप्राणियों और बाघ के लिए देश विदेश के पर्यटक खिंचे चले आते है। वन्यप्राणियों से गुलजार कान्हा की हसीन वादियों पर शिकारियों की नजरें गड़ी हुई है और जिम्मेदार प्रबंधन की निष्क्रियता से बेखौफ शिकारियों के हौसले बुलंद दिखाई दे रहे हैं। शिकार से ऐसे ही वन्यप्राणी और हिंसक तेंदुए बाघ अपनी जान गंवाते रहे तो बालाघाट के सामने बाघजिले होने का अस्तित्व खतरे में आ जायेगा। जानकारों की मानें तो तेंदुए और बाघिन के थोक में हुए शिकार के मामले के बाद निष्पक्ष, उच्च स्तरीय जांच होती है, तो बंगले झांकने वाले प्रबंधन की पोल भी खुल जाएगी।

Vikas Tiwari

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