मध्यप्रदेश में CM के लिए तोमर Vs शिवराज !

3/22/2020 3:14:41 PM

मध्यप्रदेश डेस्क (हेमंत चतुर्वेदी): मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री पद से कमलनाथ के इस्तीफे के बाद यह तय हो गया है, कि राज्य की सत्ता एक बार फिर बीजेपी के द्वार जाने वाली है। 15 महीने के अंतराल में सत्ता तो बीजेपी के पास पहुंच जाएगी, लेकिन इस दौरान पार्टी की आंतरिक राजनीति पूरी तरह बदली सी नजर आ रही है और कल तक जिस राजनीति का केंद्र शिवराज सिंह चौहान हुआ करते थे। आज बीजेपी में ही उनको चुनौती देने वाले लोग खड़े हो गए हैं, और भोपाल से दिल्ली तक मचे घमासान पर गौर करें तो शिवराज सिंह को चुनौती देते नजर आ रहे हैं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर।

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सीएम पर चिंतन, सरकार में देरी! 
मुख्यमंत्री पद से कमलनाथ को इस्तीफा सौंपे तीन दिन का वक्त हो गया है, लेकिन अभी तक बीजेपी खेमे में सरकार बनाने की कोई जल्दबाजी नहीं देखी जा रही। भोपाल से दिल्ली तक सब शांत है। कल तक जिस बीजेपी ने नाथ सरकार को गिराने के लिए पूरा जोर लगा दिया था, आज सरकार बनाने को लेकर उसकी उदासीनता कई सवालों को जन्म दे रही है, इन सवालों की तह में जाने पर पता चलता है, कि पार्टी के विधायक दल के नेता का चुनाव यानी अगले मुख्यमंत्री का चेहरे का चयन ही उसकी सबसे बड़ी चुनौती है, और जिस पद के लिए पहले शिवराज सिंह चौहान को अकेला दावेदार माना जा रहा था आज उस पद नरेंद्र सिंह तोमर मजबूती के साथ दावा पेश कर रहे हैं। सोशल मीडिया के साथ पार्टी के अंदरखानों और सियासी गलियारों में तोमर के समर्थकों द्वारा उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग जोरशोर से चल रही है, और पूरे मामले में उनकी चुप्पी इस मांग को और शह देती नजर आ रही है। वहीं बीजेपी का एक धड़ा और बड़ी संख्या में विधायक शिवराज सिंह को ही अगले मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं। दोनों नेताओं को लेकर सामने आई इस स्थिति ने हाईकमान को सोचने पर मजबूर कर दिया है, इस कारण सरकार बनाने में देरी हो रही है। 

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जानिए तोमर और शिवराज की ताकत...
वैसे तो दोनों ही नेताओं की प्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका है। लेकिन बात अगर जनाधार के बारे में करें, तो शिवराज सिंह नरेंद्र सिंह तोमर की अपेक्षा काफी आगे नजर आते हैं। बीजेपी हाईकमान इस बात को अच्छी तरह से समझता है, कि आगे चलकर 25 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन के लिए उसे शिवराज की जरूरत पड़ना तय है, इसके अलावा कई मौजूदा विधायक भी शिवराज सिंह के नाम का ही समर्थन कर रहे हैं। वहीं बात अगर तोमर के बारे में करें, तो एक कुशल संगठक के तौर पर उन्होंने अपनी छवि तैयार की है, साथ ही हाईकमान से उनकी नजदीकी भी इस वक्त उनकी सबसे बड़ी ताकत बनकर सामने आ रही है। वहीं ग्वालियर चंबल संभाग में कई सीटों पर होने वाले उपचुनाव के मद्देनजर बीजेपी उन्हें ट्रंप कार्ड के तौर पर इस्तेमाल कर सकती है। सूत्रों का तो यहां तक दावा है, कि ज्योतिरादित्य सिंधिया भी सीएम पद की रेस में तोमर के नाम का समर्थन कर चुके हैं।

 

तीसरे चेहरे पर दांव खेलेगी बीजेपी !
सीएम पद के लिए भले ही घमासान शिवराज और तोमर के बीच नजर आ रहा हो, लेकिन इस वक्त भी कोई इस बात का दावा नहीं कर पा रहा, कि मुख्यमंत्री इन्हीं दोनों चेहरों में से एक होगा। जानकारों का मानना है, कि बीेजेपी हाईकमान इन दोनों के अलावा किसी तीसरे चेहरे पर  विचार कर सकता है। इस रेस में ऑपरेशन लोटस में अहम भूमिका निभाने वाले उसके तेज तर्रार नेता नरोत्तम मिश्रा और दलित वर्ग से ताल्लुक रखने वाले केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत का भी नाम शामिल है। उधर खबरों का तो यहां तक कहना है, कि प्रदेश की राजनीति से दूर चल रहे कैलाश विजयवर्गीय ने भी सीएम पद के लिए जोड़तोड़ शुरू कर दी है।


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Vikas kumar

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