आर्सेलर मित्तल निप्पन के झूठे वादों के शिकार हुए आदिवासी, दाव पर लगी जिंदगी, सांसों में घुल रहा लाल जहर

2/9/2023 12:11:04 PM

दंतेवाड़ा (पुष्पेंद्र सिंह) : बस्तर के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में यदि कुछ शुद्ध था तो यहां की हवा, अब इस हवा में जहर घोला जा रहा है। आर्सेलर मित्तल निप्पन लिमिटेड कंपनी पिछले एक-दो वर्षो से सवालों के घेरे में हैं। आयरन और डस्ट को यह कंपनी किसी भी कीमत पर जिले के कई हिस्सों में बिखेर देना चाहती है। इस डस्ट से परेशानी के चलते हर बार विरोध के स्वर मुखर हुए हैं। ग्रामीणों ने एक बार फिर इस कंपनी को आड़े हाथों लिया है। मामला दंतेवाड़ा ब्लॉक के कुंदेली पंचायत का है। यहां रहने वाले आदिवासियों का जीना मुहाल हो चुका है। पहले कंपनी के झूठे वादों ने छला। कंपनी ने कहा था कि इस पंचायत की सभी सडक़े चमक जाएगी। पढे-लिखे युवाओं को नौकरी दे दी जाएगी और ग्रामीणों को भी रोजगार स्थानीय तौर पर दिया जाएगा। इन वादों के साथ ग्रामीणों ने लाल जहर को सांसों में घुलना स्वीकार किया। समय गुजरता गया गांववालों के सपने तो साकार नहीं हुए लेकिन सड़कों पर भारी वाहनों की संख्या बढ़ गई। इस सड़क से अब गुजरना धूल के गुबार से स्नान करने जैसा है।

इसी विकट समस्या को लेकर गांव के लोगों ने कई बार बैठक की। इस बैठक में फैसला लिया कि कलेक्टर विनीत नंदनवार को अपना दर्द बताया जाए। तीन दिन पहले गांव के लोगों ने कलेक्टर को आवेदन किया। अपने दर्द को एक पेज में उकेरा। ग्रमीणों का कहना है कि इस पर आश्वासन मिला है, उन्होंने कहा निरीक्षण करवाते है। फिलहाल अभी तक कोई अधिकारी यहां नहीं पहुंचा है। अब ग्रामीण कह रहे हैं कि सड़क पर बैठ कर ट्रकों को रुकवाएगें। अपने गांव की सूरत बद से बद्त्तर नहीं होने देगें। इसके लिए भले ही उन्हें बड़ी कीमत चुकानी पड़े।

25 से 30 टन अयरन और डस्ट से भरे वाहन निकल रहे सड़क से

सड़क की क्षमता 12 टन के आस पास है। इस बात का दावा सड़क पर लगा बोर्ड चीख-चीख कर कह रहा है। इस बोर्ड को अनदेखा कर भारी वाहन गुजर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि कंपनी के अधिकारी और कर्मचारियों को मालूम नहीं कि यह सड़क कितनी क्षमता की है। वे सब जानते हैं। इसके बाद भी धड़ल्ले से 25 से 30 टन आयरन और डस्ट से भरे वाहन निकाल रहे हैं। इस वजन का खुलासा कंपनी से जारी पिट पास कर रहा है। एक ट्रक की पर्ची में वजन और समय दिया गया है। पिटपास में वजन 27.860 टन/घन मीटर दर्ज था। इससे पता चलता है 25 से 30 टन आयरन और डस्ट से भरे वाहन इस सड़क को उखाड़ रहे हैं। कुदंली सड़क को बने हुए अभी महज तीन वर्ष भी नहीं हुए हैं। इन वाहनों ने महज 15 दिन में उखाड़ दिया है।

बाउंड्री का काम बाद में, डंपिग पहले शुरू

कंपनी और काम करने वाले कितने आदिवासियों के प्रति संजीदा है, उनकी कार्य शैली से पता चलता है। आयरन और डस्ट के लिए एक किसान की भूमि को चुना गया। यह जमीन का टुकड़ा तकरीबन 32 एकड़ के करीब का बताया जा रहा है। इस जमीन के चारों तरफ पहले ठेकेदार को बाउंड्री करना था। अभी बाउंड्री का काम शरू ही हुआ है। इससे पहले ही कंपनी ने डंपिग यार्ड बना दिया है। गांव के लोगों की बात माने तो उनका कहना है पूरा डस्ट यही एकत्र होगा। इसके बाद पूरे जिले में इसको कंपनी अपनी सुविधा अनुसार बिखेरेगी।

ग्रामीणों ने कहा- सांस लेना मुश्किल हो रहा है, यहां तक खाने में भी जम जाता है लाल डस्ट

पंचायत कुदेली के ग्रामीणों का जीना मुश्किल हुआ जा रहा है। सरपंच पति दशरू बताते है कि सुबह की ताजा हवा नहीं लाल जहर का यह डस्ट सांसों में समा रहा है। दमा, अस्थमा के मरीजों का तो बुरा हाल है। छोटे-छोटे बच्चे सर्दी जुकाम से पीड़ित हो रहे हैं। इन बीमारियों ने तो पूरे गांव को घेरा ही है। खाने में लाल डस्ट की परत जम जाती है। कुछ डस्ट खान पकाते समय उबल कर पेट में जा रही है। यदि यहां इसी तरह से डस्ट को जमा किया गया तो पूरा गांव बीमारी की जद में होगा। कलेक्टर को आवेदन किया गया है। गांव के लोग कलेक्टर के पास गए थे, लेकिन वहां से भी मकबूल जवाब नहीं मिला है। गांव का पढ़ा-लिखा युवा तामों कहता है डस्ट डालने से पहले कंपनी तमाम वादे किए, वे गांव वालों को सिर्फ छलने के लिए थे। गांव के लोगों को बताया कोई नुकसान नहीं है ये तो ब्लू डस्ट है। ग्रामीणों से अंग्रेजी में बात किए अपना उल्लू सीधा कर झोंक दिया लाल जहर के बीच।

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This news is Content Writer meena