ग्वालियर के अचलेश्वर महादेव का अनोखा हट, बीच सड़क पर क्यों विराजे हैं बाबा भोलेनाथ, पढ़िए पूरी खबर
Tuesday, Mar 01, 2022-02:20 PM (IST)

ग्वालियर (अंकुर जैन): मध्य प्रदेश में ग्वालियर में कई देवस्थान हैं और शिवमंदिर भी। सभी की अपनी महत्ता और प्रतिष्ठा है लेकिन ग्वालियर में विराजे अचलेश्वर महादेव मंदिर का कुछ विशेष ही महत्व है। इस मन्दिर की चर्चा पूरे क्षेत्र में होती हैृ। इस मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है। यहां भोलेनाथ की कृपा सब पर समान रूप से बरसती है।
भक्तो की पूरी करते है मनोकामना पूरी
अचलेश्वर है नाम जिनका, ऋषि गालब की भूमि धाम है जिनका, सबकी मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाले और अपने भक्तों की मुरादें पूरी करने वाले भोलेनाथ भी कभी-कभी हठ कर जाते हैं। शिवजी के हठ का जीती-जागता साक्ष्य है। ग्वालियर का ये मंदिर, लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। ये अतिप्राचीन अचलेश्वर मंदिर।
बीच सड़क पर विराजमान है अचलेश्वर
यहां शिवलिंग अचलेश्वर महादेव के नाम से पूजी जाती है। भक्तों की माने तो भोले शंकर यहां अपने हट के कारण ही बीच सड़क पर विराजमान हैं। महादेव को बीच सड़क से हटाने के लिए तत्कालीन शासकों ने भी कई बार प्रयत्न किए लेकिन महादेव टस से मस न हुए। महादेव अपने हट के चलते यहीं अडिग रहे, अचल रहे। आखिर भक्तों ने महादेव की मंशा भांपकर उनका मंदिर बीच सड़क पर ही स्थापित कर दिया। अचलेश्वर महादेव मंदिर पर लोग दूर-दूर से आते हैं। कुछ भक्त तो 2-3 दशकों से यहां भोलेनाथ का दरबार में हाजिरी लगाते हैं।
जंजीर से बांधकर हाथियों से खिंचवाया
अचलेश्वर मंदिर के भक्तों की मानें तो एक बार तत्कालीन मुगल शासक का काफिला इस मार्ग से गुजर रहा था। जब उन्हें यहां बीच सड़क पर महादेव की पिंडी दिखी, तो उन्होंने आदेश दिया इसे बीच रास्ते से हटाया जाये। जिससे हमारा काफिला आगे बढ़ सके । राजा की सेना ने पूरा जोर लगाने की कोशिश की। यहां तक कि अचलनाथ को जंजीर से बांधकर हाथियों से खिंचवाया गया लेकिन महोदव का शिवलिंग हटाना तो क्या हिला भी नहीं सके। उसी दिन से इनका नाम अचलेश्वर पड़ा और तब से अब तक ये पवित्र स्थान शिवभक्तों की श्रद्धा का केंद्र बना है। यहां देश के कई राज्यों से लोग बाबा के दर्शन करने के लिए आते हैं।
मंदिर में सवा लाख किलो का घंटा
इस मंदिर में लगा सवा क्विंटल का घंटा अचलेश्वर महादेव की महिमा का बखान खुद करता है। ये घंटा मंदिर के मुख्य द्वार पर है। दूध और जल से बाबा का अभिषेक होता है। फूल बेलपत्र और धतूरा अर्पित कर श्रद्धालु बाबा को प्रसन्न करने का जतन करते हैं। मंदिर के आसपास कई वर्षों से दुकाने हर रोज ऐसे ही सजी होती हैं। भक्त पूजन सामग्री यहीं से लेते हैं। धूप दीप के साथ बाबा की आऱती सम्पन्न की जाती है। डमरू और घंटें की गूंज से सबकुछ शिवमय हो जाता है। मंदिर पर एक किलो 170 ग्राम वजन का सोने का मुकुट एक महिला ने गुप्त तरीके से दान दिया था। मुकुट के उपरी हिस्से में भगवान महादेव की प्रतिमा इस छत्र पर उकेरी गई है। जबकि उसके चारों ओर बाहरी हिस्से में 12 ज्योर्तिलिंग के दर्शन किए जा सकते हैं।
शिवलिंग के चारों तरफ स्टील के पाइप से ढाई फीट की रेलिंग तैयार कर बाबा को सुरक्षा प्रदान की गई है। पहले शिवलिंग के चारों तरफ सिर्फ चांदी की ही दीवार बनी हुई थी। यहां शिव की शक्ति और भक्ति दोनों के दर्शन होते हैं। ये बाबा के भक्तों की आस्तता ही है कि यहां मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है ताकि भक्त दर्शन लाभ लेकर अपना जीवन धन्य कर सकें।