आरक्षण कोई खैरात नहीं...बाबा साहब पर टिप्पणी को लेकर फिर फूटा गुस्सा, कहा- अगर जातिवाद संघर्ष हुआ तो सरकार जिम्मेदार
Wednesday, Oct 29, 2025-06:21 PM (IST)
ग्वालियर (अंकुर जैन) : मध्य प्रदेश में ग्वालियर सहित प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में कुछ मनुवादी विचारधारा के लोग लगातार बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की विचारधारा, आरक्षण व्यवस्था और अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (SC/ST Act) के खिलाफ अमर्यादित बयानबाजी कर रहे हैं। हाल ही में ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में बाबा साहब की मूर्ति स्थापना का विरोध करने वाले वही तत्व एक बार फिर सार्वजनिक रूप से बाबा साहब और आरक्षण व्यवस्था के खिलाफ भड़काऊ बयान दे रहे हैं। यही नहीं, मध्यप्रदेश के भिंड जिले में भी ऐसे ही असामाजिक तत्वों द्वारा बाबा साहब के प्रति आपत्तिजनक बातें कही गई हैं, जो न केवल अनुचित हैं बल्कि देश के संवैधानिक मूल्यों का सीधा अपमान हैं। मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से दलित और सवर्ण समाज में उठे विवाद की लपटे लगातार बढ़ती जा रही है। ये कहना है ग्वालियर के समाजसेवी एवं अधिवक्ता विश्वजीत रतौनिया का। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए अपनी मांगे रखी।

अधिवक्ता ने आगे कहा कि हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि डॉ. भीमराव अंबेडकर केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रीय धरोहर, संविधान निर्माता और वंचित, पिछड़े, गरीब, मजदूर, किसान एवं आदिवासी वर्गों के अधिकारों के प्रतीक हैं। बाबा साहब के खिलाफ बोलना दरअसल देश के संविधान और उसके मूल आदर्शों के खिलाफ बोलना है। इसलिए, ऐसे असामाजिक तत्वों के विरुद्ध प्रशासन को तत्काल एफ.आई.आर. दर्ज कर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।
यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई और इससे जातिगत तनाव या संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होती है, तो उसकी पूर्ण जिम्मेदारी प्रशासन और शासन की होगी। आरक्षण कोई खैरात नहीं, बल्कि यह देश के प्रत्येक समुदाय को समान भागीदारी और प्रतिनिधित्व देने की व्यवस्था है। जो लोग आरक्षण और एट्रोसिटी एक्ट का विरोध कर रहे हैं, वे वास्तव में इस देश के वंचित वर्गों की उन्नति और अधिकारों का विरोध कर रहे हैं।
आजादी से पहले इस देश में हमने देखा कि किस तरीके से दलित पिछड़े आदिवासी गरीब वंचित मजदूर किसान रोटी कपड़ा मकान जैसी सुविधाओं से वंचित थे शिक्षा स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं से वंचित थे सामाजिक बहिष्कार से पीड़ित थे और यह करने वाले कौन लोग थे यह करने वाले वही लोग थे जो आज आरक्षण का विरोध कर रहे हैं और बाबा साहब का विरोध कर रहे हैं असल में यह अकेले बाबा साहब और आरक्षण का विरोध नहीं कर रहे हैं यह पूरे गरीब वंचित मजदूर किसान दलित पिछले आदिवासियों का विरोध कर रहे हैं उनके मिलने वाले हक और अधिकार का विरोध कर रहे हैं।
यह लोग एट्रोसिटी एक्ट खत्म करने की बात करते हैं इनको सबसे पहले अपनी जाति और अपने समुदाय को छोड़कर वह जीवन जीना चाहिए जो गरीब वंचित मजदूर किसान जीते हैं जब वह जीवन जिएंगे तब इन्हें पता चलेगा कि बहिष्कृत होना क्या होता है। इन्हें एक सफाई कर्मी की भांति सड़कों पर झाड़ू लगाने एवं शौचालय साफ करने के लिए निकलना चाहिए फिर इन्हें पता चलेगा कि वंचित समुदाय का जीवन क्या होता है।
हमारी प्रशासन से मांग है ऐसे लोगों पर जल्द से जल्द अगर कार्रवाई नहीं की गई और अगर शहर में वर्गीय एवं जातीगत संघर्ष होता है तो उसके लिए पूर्ण रूप से प्रशासन शासन जिम्मेदार होगा। इसलिए जरूरी है कि समय रहते इन लोगों पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
हम प्रशासन से मांग करते हैं कि —
1. बाबा साहब और संविधान विरोधी बयान देने वालों पर तत्काल FIR दर्ज की जाए।
2. ऐसे तत्वों की पहचान कर उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाए।
3. शहर और प्रदेश में सामाजिक सौहार्द बनाए रखने हेतु सख्त निगरानी की जाए।

