कागजों में घर-घर में बह रही जलधारा, असल में बूंद-बूंद के मोहताज लोग

12/24/2018 5:01:39 PM

डिंडौरी: जिले में अफसरों की लापरवाही और मनमानी के चलते सरकारी जनकल्याणकारी योजनाएं दम तोड़ रही है। सरकारी दस्तावेजों में नलजल योजना बाकायदा संचालित है जिसका दावा पीएचई विभाग के कार्यपालन कर रहे हैं लेकिन जमीनी हकीकत दावों के बिल्कुल उलट है। जहां गांव में टंकी व नल होते हुए भी लोग पानी के लिए तरस रहे हैं।



जानकारी के अनुसार, नेवसा गांव में भीषण जलसंकट को देखते हुए पांच साल पहले शासन करीब 12 लाख रूपए की लागत से नलजल योजना की शुरुआत की गई थी लेकिन पीएचई विभाग की लापरवाही के कारण आजतक यह योजना शुरू नहीं हो पाई है, पीएचई विभाग द्वारा पानी की टंकी और पाईपलाईन बिछाकर कागजी खानापूर्ति तो कर ली गई है लेकिन आजतक ग्रामीणों को नलजल योजना का लाभ नहीं मिल पाया है जबकि यह नलजल योजना सरकारी दस्तावेजों में बाकायदा संचालित है। ग्रामीणों ने बताया कि नलजल योजना के नाम पर उनके साथ मजाक किया जा रहा है, पांच हजार की आबादी वाले इस गांव में सिर्फ तीन हैंडपंप हैं। जो गर्मी के दिनों में सूख जाते हैं। ऐसे में उन्हें नदी नालों का दूषित पानी पीना पड़ता है। वहीँ सरपंच ने नलजल योजना में लापरवाही को लेकर शासन और प्रशासन एवं तात्कालीन केबिनेट मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे पर भी लापरवाही के आरोप लगाए हैं। नलजल योजना में पीएचई विभाग की लापरवाही को लेकर ग्रामीणों ने अनेकों शिकायतें की है लेकिन अबतक किसी ने भी उनकी सुध नहीं ली है और अब ग्रामीण नई सरकार से न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
 

ASHISH KUMAR

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