ग्वालियर-चंबल और मालवा में सिंधिया का विकल्प कौन, दिग्विजय को आगे करेगी कांग्रेस?

3/14/2020 1:08:42 PM

ग्वालियर/इंदौर: ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जब से कांग्रेस को अलविदा कहा है, तभी से मध्यप्रदेश कांग्रेस में एक तरह का खालीपन देखा जा रहा है। सिंधिया के इस्तीफे के बाद पार्टी से लगातार इस्तीफों का दौर भी जारी है, खासकर उनके प्रभाव वाले क्षेत्र ग्वालियर और चंबल अंचल में अब तक हजारों से अधिक कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता इस्तीफा दे चुके हैं। इसके साथ ही सिंधिया के दलबदल का प्रभाव मालवांचल में भी देखने को मिल रहा है, जहां उनका अच्छा खासा सियासी रसूख था।  अब सवाल यह उठने लगे हैं, कि आखिर इस क्षेत्र में अब सिंधिया का विकल्प कौन होगा ?

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यहां चलता था सिंधिया का जादू
कांग्रेस भले ही इस बात को स्वीकार न करें, लेकिन सिंधिया के जाने के बाद उसने एक ऐसा चेहरा खो दिया है जिसका जनता पर जादू चला करता था। खासकर ग्वालियर चंबल अंचल में डेढ़ दशक तक बीजेपी के शासन के बावजूद सिंधिया ने किसी और सत्तारूढ़ दल के नेता की जड़े यहां नहीं जमने दी। मौजूदा विधानसभा में भी यहां पर कांग्रेस ने सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया और दोनों संभागों की कुल 34 विधानसभा सीटों में 26 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की। वहीं मालवा की भी 55 सीटों में से इस बार कांग्रेस ने 28 सीटें जीतीं थी। दोनों ही क्षेत्रों ने कांग्रेस की इस सफलता का क्रेडिट ज्योतिरादित्य सिंधिया को दिया गया था।

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दिग्विजय सिंह पूरी करेंगे कमी !
मौजूदा वक्त में देखा जाए, तो ग्वालियर-चंबल और मालवा में कांग्रेस के पास कोई भी ऐसा प्रभावी चेहरा नहीं है, जो   ज्योतिरादित्य सिंधिया की कमी पूरी कर सके। वैसे संबंधित क्षेत्र में कांग्रेस के तेजतर्रार नेताओं की लिस्ट तो काफी लंबी है, जिनमें जीतू पटवारी, डॉ. गोविंद सिंह, सज्जन सिंह वर्मा, अशोक सिंह जैसे नाम प्रमुख हैं लेकिन इन सभी नेताओं का रुतबा सिर्फ एक निर्धारित क्षेत्र तक सीमित है, लिहाजा कांग्रेस के पास सर्वमान्य नेता के तौर पर सिर्फ एक विकल्प ही नजर आ रहा है जो हैं दिग्विजय सिंह। पिछले एक वक्त में दिग्विजय सिंह का जनाधार भले ही सिमटा हो, लेकिन कांग्रेस संगठन और कार्यकर्ताओं में उनकी स्वीकार्यता आज भी पहले जैसी है और वह उन्हें बांधकर रखने में सक्षम हैं। हालांकि पिछले एक समय में दिग्विजय ने इस क्षेत्र में खुद को सीमित कर लिया था।  लेकिन अब जबकि कांग्रेस के सामने चुनौतीपूर्ण हालात बने हुए हैं, ऐसे में उनके कमान संभालने की बात को बेमानी करार नहीं दे सकते।


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Edited By

meena

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