10 माह से पेंशन के लिए भटक रही शहीद जवान की पत्नी, राष्ट्रपति को लौटाए मेैडल

7/11/2018 3:07:50 PM

जबलपुर : हर नौजवान का सपना होता है कि वो सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करे। एक दिन वो खून-पसीना बहाते हुए अपना सपना साकार कर लेता है और सीमा पर रहकर हमारी रक्षा करता है। अपने कर्तव्य को निभाते-निभाते कई बार वो सिपाही देश के लिए कुर्बान हो जाता है। पीछे रह जाता तो उसका परिवार।

इन शहीदों के लिए सरकारें भी हमेशा से काम करती आई हैं। इनके परिवारों की देखभाल भी सरकार की जिम्मेदारी होती है। लेकिन यही सरकारी सिस्टम एक शहीद के परिवार परेशान करेगा ये किसी ने सोचा नहीं होगा। ऐसा ही एक मामला जबलपुर में सामने आया है।

जहां सेना में मैडल प्राप्त सैनिक की विधवा ने राष्ट्रपति को मैडल लौटाने का आवेदन दिया है। उसका कहना है कि वह पेंशन के लिए महीनों से भटक रही है, पर सिस्टम ने उसे उसका हक नहीं दिया है। वीरता के लिए सैनिक को मिले आधा दर्जन मैडल लौटाकर वह ये कहना चाहती है कि देश की खातिर जिसने जीवन मिटा दिया, उसके परिवार का सरकार ध्यान नहीं रख सकती तो ये मैडल किस काम के हैं।

यह है मामला
दरअसल शहीद सैनिक रहेन्द्रचन्द्र बर्मन की पत्नी बिजलीरानी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नाम एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने लिखा है कि वो निराश हैं। उन्होंने पत्र में आगे लिखा है कि ‘देश मेरे पति के लिए सर्वोपरि था। मुझे भी अपना देश प्राणों से प्यारा है। मेरे पति ने 1965 व 1971 में देश के लिए युद्ध लड़ा। वीरता के लिए उन्हें 6 मैडल देकर सम्मानित किया गया। जिनमें संग्राम और रक्षा मैडल शामिल हैं। उनके शहीद होने पर मुझे जीवनयापन के लिए पेंशन भी नसीब नहीं हो रही है। फिर ऐसे मेैडल का क्या मतलब है उन्हें वापस ले लिया जाए’।

शहीद की पत्नी ने बताया कि 10 सितम्बर 2017 को उनके पति का निधन हो गया था। उसके बाद पेंशन के लिए हर फोरम पर गुहार लगाई, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। पीएमओ में शिकायत की तो एक मई 2018 को जिला प्रशासन ने एओसी रिकॉर्ड सिकंदराबाद कार्यालय से मंगाया। लेकिन, प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट ने शपथ पत्र देने से इनकार कर दिया। कलेक्टर ने उचित सहयोग करने का आश्वासन दिया है।

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