महाकाल नगरी में 100 रुपए की रशीद के लिए हुआ विवाद, मंदिर के प्रशासक और महंत में झूमाझटकी!
Sunday, Sep 07, 2025-02:17 PM (IST)

उज्जैन (विशाल ठाकुर): महाकाल नगरी उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध मंगलनाथ मंदिर में शनिवार दोपहर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। दोपहर करीब 2 से 3 बजे के बीच 100 रुपए की शीघ्र दर्शन रसीद को लेकर गादीपति महंत राजेंद्र भारती और मंदिर प्रशासक केके पाठक के बीच बहस हुई, जो इतना बढ़ गई कि दोनों पक्षों में झूमाझटकी और अभद्रता तक हो गई।
महंत और प्रशासक आमने-सामने
इस विवाद के बाद प्रशासक पाठक ने महंत पर शासकीय कार्य में बाधा डालने और दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए चिमनगंज थाने में लिखित शिकायत दी। वहीं, महंत ने भी थाने में आवेदन देकर आरोप लगाया कि दर्शन व्यवस्था में गड़बड़ी रोकने की कोशिश पर उनके साथ अभद्रता की गई।
शीघ्र दर्शन व्यवस्था क्या है?
मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 100 रुपए की शीघ्र दर्शन रसीद की व्यवस्था लागू की थी। इस व्यवस्था के तहत रसीद कटवाने वाले भक्तों को सीधे निर्गम द्वार से दर्शन की सुविधा दी जाती है। इससे समय की बचत होती है।
प्रशासक बोले- पारदर्शी है प्रक्रिया
प्रशासक पाठक ने कहा कि शीघ्र दर्शन व्यवस्था पूरी तरह पारदर्शी है। देश के बड़े मंदिरों जैसे महाकाल, शिर्डी, काशी और तिरुपति की तर्ज पर इसे लागू किया गया है। रसीद का पैसा सीधे मंदिर के सरकारी खजाने में जमा होता है और विकास कार्यों पर खर्च किया जाता है। उन्होंने बताया कि भीड़भाड़ वाले दिनों में इस व्यवस्था से 60 से 80 हजार रुपए तक की आय होती है। शनिवार को जब वे इस व्यवस्था का संचालन कर रहे थे, तभी महंत ने आकर विरोध किया और झूमाझटकी की। इसकी जानकारी एसडीएम और तहसीलदार को भी दी गई है।
महंत का आरोप- अवैध तरीके से रसीदें काटी जा रही
महंत राजेंद्र भारती का कहना है कि मंदिर में जल्दी दर्शन की रसीदें गलत तरीके से काटी जा रही हैं। इसी अनियमितता को रोकने पहुंचे थे। उनका आरोप है कि रसीद में एक ही व्यक्ति का नाम लिखा जाता है, जबकि उसके साथ आने वाले अन्य सदस्यों का उल्लेख नहीं होता। कई बार “3 प्लस 4” लिख दिया जाता है, जो गलत है। महंत का कहना है कि शासकीय मंदिर होने के नाते वर्षों से इसका ऑडिट क्यों नहीं हुआ? यह अवैध तरीके से दर्शन कराना है, जिससे लाइन में खड़े श्रद्धालुओं में नाराजगी होती है।