बचपन से अंधे सुदामा ने पैरों से थाली बजानी सीखी और बन गए ढोलक मास्टर, हुनर देख आप भी रह जाएंगे हैरान

12/25/2021 4:44:35 PM

आगर मालवा(जाफर हुसैन): कहते हैं कि कुछ करने की चाह हो तो दुनिया की कोई ताकत आपकी कमजोरी नहीं बन सकती। ये बात सच कर दिखाई मध्य प्रदेश के आगर मालवा के ढोलक मास्टर सुदामा ने। सुदामा जिला खंडवा का रहने वाला है जिसकी आंखों की रोशनी बचपन से नहीं हैं। ऐसे में सुदामा ढोलक मास्टर कई परेशानियों के बीच अपना जीवन यापन करते आ रहे हैं। उसे बचपन से अपने पैरों से थाली बजाने की आदत थी। यही आदत शौक में बदल गई और वह बिना गुरु के परफैक्ट ढोलक मास्टर बन गया। 

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सुदामा ने अपने इस शौक को रोजगार का साधन बनाना चाहा लेकिन उसके सामने एक नई मुसिबत आई कि वह गांव गांव घूमेगा कैसे? हर जगह साथ जाए कौन ऐसे में रिश्ते में बुआ के लड़के अमर ने सुदामा ढोलक मास्टर को हिम्मत देकर हर जगह साथ जाने की बात कर सुदाम ढोलक मास्टर को अंधे होने के बाद भी अंधे होने का एहसास नही होने दिया।
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सुदामा ढोलक मास्टर अपने अंख वाले दोस्त सारथी के साथ आगर मालवा जिले के कानड़ में पहुंचे तो ढोलक पर  उंगलियों की कला के साथ आवाज ने सबका मन मोह लिया। कई लोगों ने आगे आकर खुशी उसको ऊपर के रूप में राशि दी। सुदामा ढोलक मास्टर को अमर ने एक हाथ ठेले पर बिठाकर नगर के प्रमुख बाजार में घुमाया तो सुदामा ढोलक मास्टर ने भी अपनी कला का जमकर प्रदर्शन किया। ढोलक की थाप के साथ आवाज के संगम ने सबका दिल जीत लिया।

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सुदामा ढोलक मास्टर ने बताया कि खंडवा जिले के छोटे गांव बड़गांव में रहते है। बचपन से आंखे नहीं हैं। ऐसे में हमे शौक था बजाने का आंखे नहीं होने की वजह से हमारे घर के लोग पैरों का यह थाली रख देते थे जिसे हम पैरों से बजाया करते थे। उसके बाद हमें बजाने का शौक हुआ तो धीरे धीरे हम ने बिना गुरु के ढोल बजाना सीख लिया। हमे सरकार से शिकायत हैं कि हमे आज तक कोई लाभ योजनाओं का नहीं मिला सरकार से उम्मीद करते है कि हमें कुछ लाभ दे ताकि हम हमारा जीवन यापन तरीके से कर सकें।


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meena

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