साल में मात्र 48 घंटों के लिए खुलता है MP का यह मंदिर, निसंतान जोड़ों को मिलता है संतान सुख
Wednesday, Jan 15, 2025-08:54 PM (IST)
पन्ना: मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के अजयगढ़ तहसील में मकर संक्रांति पर अजयगढ़ के ऐतिहासिक किले में मेला लगता है। जहां निसंतान जोड़ों को संतान प्राप्ति का सुख मिलता है। खास बात यह कि जहां तांत्रिक बाबा अजयपाल की मूर्ति साल में एक बार ही निकाली जाती है, जो कि हर साल की भांति इस साल भी मकर संक्रांति पर निकाली गई, जिसके दर्शन करने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लगा, और किले के नीचे प्राचीन जमाने से चला आ रहा ऐतिहासिक मेला भी लगाया गया, जिसमें आसपास के ग्रामीणों सहित दूरदराज से लोग आते हैं, लोगों का मानना है कि अजयपाल की यह मूर्ति तांत्रिक बाबा अजयपाल की मूर्ति है।
इस मंदिर की खासियत है कि यहां कुल देवता महज 48 घंटे ही दर्शन देते हैं। मनोकामना पूर्ण करने वाले भगवान के यह पट (दरवाजे) इस मंदिर के लिए यह मान्यता है, कि यहां भक्तों की हर मुराद पूरी होती है, वशर्ते देवता के सामने खड़े होकर यह मुराद मांगी जाए, लिहाजा इस भीड़ में ज्यादा तादाद उन्हीं भक्तों की होती है, जो अपनी आस लिए आते हैं। जहां निसंतान जोड़ों के अलावा किसान भी आते हैं, जो अपने पशुओं का उपचार भी करवाते हैं, इस मंदिर में ऐसी मान्यता भी है कि यहां के एकमात्र कंकड़ को यदि पशु चिकित्सालय में रख दिया जाए तो वहां पर पशुओं की बीमारियां भी दूर हो जाती है।
मंदिर में है अनोखा खजाना
पन्ना जिला ऐतिहासिक धरोहरों से भरा हुआ है, लेकिन पन्ना जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर बसा है ये अजयपाल के किले का इतिहास कहता है कि यह 2 हज़ार ईसा पूर्व चंदेल वंश के राजाओं के दौर का किला है, इस किले को लेकर कई किस्से कहानियां है, कहा यह भी जाता है कि औरंगजेब जब यहां आया तो उन्होंने किले में छुपे खजाने का पता करने इस मंदिर की मूर्ति को तोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन तभी चमत्कारी मूर्ति पानी के कुंड में जाकर विलुप्त हो गई, और तभी से किले का खजाना दुनिया के लिए रहस्य बन गया।
चंदेल राजाओं के इतिहास का एक बड़ा हिस्सा इसी किले के इर्द-गिर्द रहा है, किले में हर तरफ चंदेल राजाओं के सुनहरे दौर के अवशेष दिखाई देते हैं, चंदेलों के 8 ऐतिहासिक किलों में से एक है अजयगढ़ का यह ऐतिहासिक किला...
इस दुर्लभ किले में अनेक ऐतिहासिक ऐसी मूर्तियां हैं, जिनमें कार्तिकेय गणेश, जैन तीर्थंकरों के आसन है, वात्सल्य की भी एक मूर्ति है, दूर से देखिए तो खजुराहो व अजयपाल का किला एक ही वास्तुकार के हाथों का करिश्मा है, और ये वो शिलालेख है, जिस पर अजयपाल के इस किले का रहस्य छिपा हुआ है, इस बीजक में ताला चाबी की आकृति भी बनी है, लेकिन अब तक कोई भी इस लिपि को पढ़ नहीं पाया, लिहाजा खजाने का यह रहस्य, आज भी रहस्य ही बना हुआ है।
इन पत्थरों में इतिहास ही दर्ज नहीं है, बल्कि इन पत्थरों में चंदेल राजाओं के सुनहरे इतिहास का खजाना भी है, लेकिन कई सवालों के साथ...क्योंकि पूरे साल भर में यह मंदिर केवल 48 घंटे को ही खुलता है, दीवार पर लिखी खजाने के रहस्य की यह इबारत (बीजक) जिसको अब तक कोई क्यों नहीं पढ़ पाया, ऐसा क्या है इस मढिया में कि लोगों की आस्था आज तक अविश्वास में नहीं बदली, ऐसे तमाम सवाल है, जो कहते हैं कि वाकई अजब-गजब है अजयपाल का ये किला।