MP में बच्चे गोद लेने वालों की बदल रही सोच, 2 साल में दंपतियों ने 78% लाडली लक्ष्मी को लिया गोद

6/21/2021 2:59:14 PM

भोपाल (इजहार हसन खान): प्रदेश में बेटों को गोद लेने में प्राथमिकता देने के चलन के बाद अब लोगों की मानसिकता धीरे-धीरे बदल रही है और वे लड़कियों को गोद लेने में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं। बच्चा गोद लेने वालों के पास तीन विकल्प होते हैं। वे लड़का या लड़की में से एक को चुनें या दोनो में से कोई भी। ज्यादातर वो लोग बच्चे गोद लेते हैं, जिनके अपने बच्चे नहीं होते। 'वंश चलाने चिराग चाहिए की मानसिकता के लोग रिश्तेदारों से लड़का गोद लेना ज्यादा पसंद करते हैं। जिन्हें सिर्फ बच्चे की चाह होती है, वह बेटियों को तवज्जो देते हैं। दूसरा, लोग बेटियों के प्रति संवेदनशील हो रहे हैं। बढ़ती उम्र में बेटी का साथ ज्यादा राहत और सुरक्षा देता है।

मध्यप्रदेश में गोद लेने के अब बेटियां दंपतियों की पहली पसंद बन गई हैं। चार साल के आंकड़ों पर नजर डालें, तो आवेदन के प्राथमिकता वाले कॉलम में बेटियों की संख्या बढ़ रही है। रजिस्ट्रेशन कराते समय पहले 62 प्रतिशत दंपती की पसंद लड़के थे। अब 78 प्रतिशत दंपती लड़कियों को गोद लेने के इच्छुक है। हालांकि, लड़कियों को गोद देने के नियम सख्त होने से गोद ली गई बेटियों की संख्या कम हो सकती है। 2020 में 25,690 आवेदन आए थे। इनमें 20,038 ने बेटियों को गोद लेने की इच्छा जताई। केंद्रीय दत्तक ग्रहण प्राधिकरण कारा के मुताबिक, MP में हर साल औसतन 25 हजार दंपति गोद लेने के लिए आवेदन करते हैं। इसमें विदेशी भी शामिल हैं। हालांकि, बच्चों की संख्या सीमित होने और नियमों के चलते एकसाल में औसत नतीन हजार बच्चे ही गोद दिए जाते हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग से मिली जानकारी अनुसार गोद लेने वाले दंपतियों की मानसिकता में अंतर आ रहा है। अब लडकियों को गोद लेने के लिए आवेदन ज्यादा पहुंच रहे हैं। दंपति लड़के का इंतजार नहीं करते हैं। मध्य प्रदेश से बीते साल 78% लड़कियां गोद दी गईं। बता दें कोविड संक्रमण के कारण बीते साल बच्चों को गोद दिए जाने की प्रक्रिया धीमी रही थी। मध्यप्रदेश के 31 शिशु ग्रहों में कुल 222 बच्चे रह रहे हैं।इनमे 92 लड़के हैं तो वही 130 लड़कियां हैं।भौपाल के दो शिशु ग्रहो में कुल 21 बच्चे हैं जिनमे 10 लड़के और 11 लड़कियां हैं।

Vikas Tiwari

This news is Content Writer Vikas Tiwari