जब तक मस्जिद नहीं गिरती हिंदू-मुसलमान मुद्दा कैसे बनता- राम मंदिर को लेकर फिर भाजपा पर बरसे दिग्विजय सिंह

1/17/2024 8:34:26 PM

रीवा: अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियों के बीच एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के सांसद दिग्विजय सिंह ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा का मकसद अयोध्या में मंदिर बनाना नहीं, बल्कि मस्जिद तोड़ना था। क्योंकि 1857 की लड़ाई में भले ही अंग्रेजों का राज था लेकिन उनके खिलाफ हिंदू और मुस्लिम एक साथ खड़े थे। अयोध्या में 1850 से निर्मोही अखाड़े का कब्जा था। सब कुछ ठीक चल रहा था। लेकिन भाजपा चुनाव हार रही थी तो उन्होंने मंदिर मस्जिद करना शुरू कर दिया। भाजपा का उद्देश्य मंदिर बनाना नहीं बल्कि मस्जिद तोड़ना था।

कोर्ट के आदेश पर भी उस भूमि पर मंदिर क्यों नहीं बनाया- दिग्विजय सिंह

रीवा के सर्किट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मीडिया से चर्चा के दौरान दिग्विजय सिंह ने कहा कि, पोस्टर में जब नारा दिया गया था- 'राम लला आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे' तो अब कोर्ट के आदेश पर उस भूमि पर मंदिर क्यों नहीं बनाया जा रहा? केवल विवादित भूमि में निर्माण के लिए कोर्ट के फ़ैसले तक इंतज़ार करने के लिए कहा गया था। लेकिन ग़ैर विवादित भूमि पर तो राजीव गांधी के समय ही भूमिपूजन हो गया था। नरसिम्हा राव ने तो राम मंदिर निर्माण के लिए ग़ैर विवादित भूमि का अधिग्रहण भी कर दिया था।

कांग्रेस ने कभी राम मंदिर निर्माण का विरोध नहीं किया

दिग्विजय सिंह ने आगे कहा कि कांग्रेस ने कभी भी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का विरोध नहीं किया। बीजेपी और विश्व हिंदू परिषद का मकसद मंदिर निर्माण नहीं, मस्जिद गिराना था। क्योंकि जब तक मस्जिद नहीं गिरती तब तक हिंदू मुसलमान का मुद्दा नहीं बनता। अशांति फैला कर राजनीतिक लाभ लेना भाजपा की रणनीति है। इसीलिए उनका नारा था- 'राम लला हम आयेंगे मंदिर वहीं बनायेंगे'। अब वहां क्यों नहीं बनाया?  जबकि कोर्ट ने अपना फैसला दे दिया था। फिर इंतजार क्यों किया।

निर्मोही अखाड़े को दूर कर मोदी ने मंदिर निर्माण में राजनैतिक लोगों को शामिल किया- दिग्विजय सिंह

दिग्विजय सिंह ने पीएम मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस मंदिर के लिए सबसे ज्यादा लड़ाई निर्मोही अखाड़े ने लड़ी। अखाड़े के लोग जिन्होंने 165 वर्षों तक राम जन्म भूमि की लड़ाई लड़ी, अदालत में भी डटे रहे जैसे ही मंदिर निर्माण का रास्ता खुला उन्हें दूर कर दिया गया।  सारी लड़ाई स्वामी स्वरूपानंद जी ने लड़ी थी। उन्हें रामालय ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाया गया। उन्हें दूर करके मोदी ने मंदिर निर्माण में राजनैतिक लोगों को शामिल कर दिया है।

दिग्विजय सिंह सवाल उठाते हुए कहा कि निर्मोही अखाड़े से पूजा का अधिकार छीनकर चंपत राय के स्वंय सेवकों को दे दिया गया। मोहन भागवत को प्राण प्रतिष्ठा में क्यों बुलाया गया।  ये अधर्मी हैं और धर्म विरोधी हैं। हमें सनातन विरोधी कहते हैं, जबकि मैंने नर्मदा परिक्रमा पैदल की है। निर्माणाधीन मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा नहीं होती। वही कांग्रेस के न्योता ठुकराने पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि मंदिर निर्माण का कार्य पूरा होने पर हम जायेंगे। हमें किसी आमंत्रण की जरूरत नहीं है।

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