‘विवादित बयानों की देवी’ साध्वी प्रज्ञा! BJP के लिए खड़ी कर रही मुश्किलें

4/20/2019 2:56:54 PM

भोपाल: कहते हैं सुबह का भूला हुआ शाम को घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते। कुछ ऐसा ही हाल साध्वी प्रज्ञा का भी है, वो भूल कर वापस तो लौट आई हैं लेकिन अभी घर नहीं पहुंची हैं, क्योंकि जिस तरह से उन्होंने बयान दिए हैं और जिस तरह से शहीद हेमंत करकरे पर दिए बयान से उनकी और BJP की किरकिरी हुई है, उससे यू टर्न लेना जरूरी था, और अगर वो ऐसा नहीं करती तो ये बयानबाजी लोकसभा चुनाव में भारी पड़ सकती थी।


मालेगांव बम बलास्ट के आरोपी होने से ज्यादा अपने बड़बोलेपन की वजह से साध्वी प्रज्ञा सुर्खियों में आईं। साध्वी प्रज्ञा ने संन्यासी और दुश्मनों को बल मिलने का हवाला देकर बयान तो वापस ले लिया, लेकिन लगता है कि ये कहने की उनकी दिली इच्छा नहीं थी। बल्कि ऐसा करने के लिए उन पर पार्टी हाई कमान ने दबाव बनाया है, क्योंकि अगर उन्हें अपने दिए बयान पर पछतावा होता तो इससे पहले जब मीडिया ने उनसे सवाल किया, तब भी वो अपना बयान वापस ले सकती थीं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ बल्कि साध्वी अपने बयान पर बनीं रहीं और जब बयान वापस भी लिया तो यह कह कर की विपक्ष को इस बयान से कहीं मजबूती न मिल जाए। मतलब साफ है कि प्रज्ञा को इस बयान का अब भी कोई अफसोस नहीं है। 

 

हालांकि कहीं न कहीं साध्वी ने अपना बयान इसलिए भी वापस लिया, क्योंकि चुनाव आयोग उनके खिलाफ एक्शन लेने वाला था। लेकिन बड़बोलापन अभी भी खत्म नहीं हुआ था। एक तरफ जहां दिग्विजय सिंह ने अपनी प्रतिद्वंदी साध्वी प्रज्ञा का स्वागत किया। तो दूसरी तरफ प्रज्ञा ने खुद को महिषासुर मर्दिनी तो दिग्विजय सिंह को महिषासुर और कालनेमि जैसे राक्षसों का संज्ञा दे डाली। जो कि लोकतंज्ञ की परिभाषा को बिल्कुल भी व्यक्त नहीं करता है। 




कसाब को पकड़ने वाले शहीद को भी नहीं छोड़ा...

गौरतलब है भोपाल में सत्संग स्टाइल की जनसभा में बैठकर साध्वी प्रज्ञा ने कहा था कि ये उनके ही श्राप का असर था जिसने 26/11 हमले में आंतकी कसाब को पकड़ने वाले और उन्हें फसाने वाले ATS चीफ हेमंत करकरे की जान ले ली। साध्वी का ये बायन आने के बाद देश की राजनीति में हड़कंप मच गया। प्रताड़ना के किस्से सुनाते-सुनाते प्रज्ञा ठाकुर मीडिया के सामने रो भी पड़ीं थी। वहीं जब उन्हें BJP ने टिकट दिया तभी से उनके बारे में सोशल मीडिया पर तरह के कमेंट आने लगे। जिसे BJP पर भी सवाल खड़े हो रहे थे। जनता के जहन में एक ही सवाल था कि आखिर एक बम बलास्ट की आरोपी को टिकट क्यों दिया गया। लिहाजा पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने वक्त ज़ाया न करते हुए कहा कि साध्वी प्रज्ञा को भगवा आतंकवाद शब्द के जन्मदाता दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा है। 


 

कुमार विस्वास ने भी साधा साध्वी पर निशाना...

शहीद पर उंगली उठाई गई तो विपक्ष का हमला होना तय था, इसी बीच आम आदमी पार्टी के बागी नेता कुमार विस्वास ने भी साध्वी प्रज्ञा पर हमला बोलते हुए ट्वीट किया कि 'मुंबई आतंकी हमले में आतंकवादियों से सीधे भिड़ने वाले शहीद हेमंत करकरे के बलिदान को उसके कर्मों की सजा बता रही हैं भोपाल प्रत्याशी, जो मंच पर बैठे हैं वो एक चुनावी हार-जीत के लिए, बेशर्मी से ताली बजा रहे हैं? देश के लिए वर्दी में शहीद हो चुके एक सिपाही के साथ ये सलूक?''

BJP की सदस्यता लेने के बाद साध्वी प्रज्ञा जिस तरह से लगातार विवादित बयान दे रही हैं। उससे कहीं न कहीं BJP की हालत पतली नजर आ रही है। भोपाल से अपने चुनाव लड़ने को धर्मयुद्ध की संज्ञा देने वालीं साध्वी प्रज्ञा के बयानो से BJP धर्मसंकट में आ गई है। लिहाजा अगर हाल यही रहा तो हो सकता है कि इस बार भोपाल में दशकों से चल रहा BJP का विजय रथ थम जाए, और 30 साल बाद कांग्रेस की वापसी हो जाए।  

Vikas kumar

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