मिट्टी के भगवान गणेश का बाल बांका नहीं कर पाई बाढ़, देखें आस्था और विश्वास से भरा ये Video

9/1/2020 4:37:16 PM

बालाघाट(हरीश लिलहरे): मध्य प्रदेश के बालाघाट में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है जिसे सुनकर आप दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो जाओंगे। इसके साथ ही आपकी आस्था भगवान गणेश पर और बढ़ जायेगी। जी हां, जलप्रलय के बीच बालाघाट में बच्चों की आस्था की जीत होने का मामला सामने आया है। बालाघाट में भारी बारिश ने तबाही मचा दी। बाढ़ आई, घर टूट गए, चारों ओर तबाही का मंजर देखने को मिला। बाढ़ के कारण सैंकड़ों लोग बेघर हो गए और ना जाने कितने लोग मारे गए लेकिन गणेश की मिट्टी की बनी मूर्ति को कुछ नहीं हुआ। वह मूर्ति जिसे आदिवासी बच्चों ने मिट्टी से बनाया था। भगवान गणेश की प्रतिमा तस से मस नहीं हुई बिल्कुल सही सलामत दिखी जिसे देखकर अब बच्चो के अलावा हर कोई हैरत में है।


बैनगंगा नदी के तट पर बसे वार्ड नं 1 ढीमर टोला में 14 सालों से स्थानीय निवासी सार्वजनिक भगवान गणेश की प्रतिमा विराजित करते थे लेकिन इस वर्ष कोरोना काल के चलते भगवान गणेश की प्रतिमा विराजित नहीं करने का निर्णय लिया गया जिससे यहां के बच्चे बहुत दुखी हो गए। लेकिन बच्चों ने मिट्टी का गणेश भगवान विराजित कर पूजा पाठ शुरू कर दिया। बच्चों की इस आस्था को देखते हुए यहां मोहल्ले वालों ने एक भगवान गणेश की प्रतिमा खरीद कर विराजित कर दिए।

जिससे बच्चो के मन मे गणेश उत्सव को लेकर जबरदस्त उत्साह बना रहा लेकिन 28 और 29 अगस्त को हुई जबरदस्त बारिश और भीमगढ़ बांध से लाखों क्यूसेक पानी छोड़ने से आई बाढ़ ने बच्चों की आस्था में खलल डाल दिया। विराजित गणेश प्रतिमा और समूचा इलाका जलमग्न हो गया। जिससे बच्चों का मन बहुत दुखी हो गया था लेकिन दो दिनों बाद बाढ़ का पानी कम होने के बाद जब भगवान गणेश की प्रतिमा सही सलामत यथावत दिखी तो बच्चों के साथ साथ यहां के लोग भी हैरान हो गए।
 

बच्चों को अतिप्रिय भगवान गणेश की आस्था की जीत का यह वाक्या खूब सुर्खियों में है। जलप्रलय के बाद भी भगवान गणेश की यह लीला लोगों को आश्चर्य में डाल रही है क्योंकि जिस मंच पर बच्चों ने भगवान गणेश की प्रतिमा विराजित की थी वहां कोई आधार या मजबूत पंडाल भी नहीं था बल्कि खुले आसमान के नीचे पॉलीथिन और साधारण रूप से गणेश प्रतिमा विराजित की गई है। जिसे अब लोग चमत्कार के तौर पर भी देख रहे हैं।  

बाढ़ की तबाही के बीच गणेश चतुर्थी में भगवान गणेश की यह लीला वाकई में आस्था के रंग को और भी गहरा करने वाली इसलिए भी साबित हो रही है क्योंकि दो दिनों तक जलमग्न होने पर लोगो को और खासकर बच्चो को इस बात का दुख था कि शायद अब उन्हें भगवान गणेश की प्रतिमा जलप्रलय के चलते नही मिलेगी और अब उन्हें आगे पूजा अर्चना या प्रतिमा विसर्जन का सौभाग्य नसीब नही होगा लेकिन पानी छटने के बाद यथावत उसी स्थान पर विराजित भगवान गणेश की प्रतिमा को देखकर लोगो मे आस्था की जीत ठिकाना नही है।

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