पूर्व CM कमलनाथ ने PM मोदी को लिखा पत्र, की ये मांग

3/31/2020 5:36:22 PM

भोपाल(इजहार हसन खान): वैश्विक महामारी का रुप धारण कर चुके कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण के बीच अन्य राज्यों से मजदूरों एवं छात्रों का पलायन देश एवं राज्य सरकारों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। केंद्र एवं राज्य सरकारें अपनी तरफ से हर संभव कोशिशें कर रही हैं बावजूद इसके यह पलायन थम नहीं पा रहा । जिसको लेकर आज प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। अपने पत्र में कमलनाथ ने कहा है कि अपने शहर से बाहर रह रहे मजदूर और छात्र को जीवन की बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही है और ना ही उन्हें कोई भरोसा दिलाने वाला है जिससे उनके मन में भय स्वाभाविक है और इसलिए वह उन राज्यों से पलायन कर रहे हैं।
 

पूर्व मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी से यह अपील की है कि उन छात्रों एवं मजदूरों को भरोसा दिलाया जाए उनके खाने-पीने और रहने का इंतजाम किया जाए और जो लोग इस से ग्रसित नहीं दिखते हैं स्पेशल ट्रेन के जरिए उनको उनके घरों तक पहुंचाया जाए। साथ ही उन्हें 3 माह के राशन के साथ 7500 रुपए प्रतिमाह आर्थिक सहायता दी जाए। पूर्व सीएम कमलनाथ ने आगे लिखा कि कोरोना की महामारी से निपटने के लिए वह सरकार के साथ हैं लेकिन केंद्र सरकार तत्काल राज्य सरकारों से समन्वय स्थापित कर देश के विभिन्न हिस्सों में प्रवासी मजदूरों एवं छात्रों के लिए खाने एवं रहने की व्यवस्था करें। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्यों के साथ समन्वय स्थापित करके सोशल डिस्टेंसिंग के साथ रहने व खाने का प्रबंध किया जाए और इस काम में सामाजिक संस्थाओं की मदद ली जाए। सभी जगह पर छात्र एवं मजदूर परिवारों का स्वास्थ्य स्क्रीनिंग की जाए और जिन्हें कोई बीमारी नहीं है उन्हें अपने-अपने घर तक पहुंचने में मदद की जाए।

विशेष ट्रेन के जरिए लोगों को उनके घर तक पहुंचाया जाए जिसके व्यय की प्रतिपूर्ति राज्य एवं केंद्र सरकार मिलकर करें। साथ ही अपने घर जाने वाले लोगों के लिए 3 माह का राशन और 7500 रुपए प्रति माह के हिसाब से 2 माह की आर्थिक मदद की जाए। वहीं एक सक्रिय नियंत्रण केंद्र की व्यवस्था हर राज्य में खाद्य सुरक्षा, भूखमरी और पलायन के प्रभावों को नियंत्रित करने के लिए भी की जाए। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है कि देश इस आपातकाल से लड़ने के लिए तैयार नहीं था किंतु हम मजदूरों एवं बेसहारा छात्रों को ऐसे नहीं छोड़ सकते। हमें इनकी मदद के लिए आगे आना होगा।

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