बासमती चावल की GI टैगिंग: पंजाब के CM पर भड़के शिवराज, बोले- MP के किसानों से क्या दुश्मनी?

8/6/2020 12:21:06 PM

भोपाल: देश दुनिया में अपनी खुशबू और स्‍वाद के लिए पहचाना जाने वाला सबकी पंसद बासमती चावल के भौगोलिक संकेतक दर्जे को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। एक तरफ पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है तो वहीं दूसरी ओर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इस पत्र की निंदा की है और इसे राजनीति से प्रेरित बताया है।

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दरअसल, बासमती चावल अपनी भौगोलिक पहचान को लेकर इन दिनों कानूनी विवाद में उलझा हुआ है। करीब 12 साल से चल रही ये लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट जा पहुंची है। मामला मध्य प्रदेश समेत अन्य सात राज्यों से जुड़ा हुआ है। इसे लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने भी अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है। पंजाब और अन्य राज्यों के बड़े हित में मध्य प्रदेश के बासमती को भौगोलिक संकेतक दर्जा की इजाजत न देने के लिए उनके निजी दखल की मांग की है। 

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वहीं मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा- मैं पंजाब की कांग्रेस सरकार द्वारा मध्यप्रदेश के बासमती चावल को GI टैगिंग देने के मामले में प्रधानमंत्री जी को लिखे पत्र की निंदा करता हूं और इसे राजनीति से प्रेरित मानता हूं। शिवराज सिंह ने कहा कि मैं कैप्टन अमरिन्दर सिंह से यह पूछना चाहता हूं कि आखिर उनकी मध्यप्रदेश के किसान बन्धुओं से क्या दुश्मनी है?


उन्होंने आगे कहा कि यह मध्यप्रदेश या पंजाब का मामला नहीं, पूरे देश के किसान और उनकी आजीविका का विषय है। मध्यप्रदेश को मिलने वाले GI टैगिंग से अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारत के बासमती चावल की कीमतों को स्टेबिलिटी मिलेगी और देश के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा! मध्यप्रदेश के 13 ज़िलों में वर्ष 1908 से बासमती चावल का उत्पादन हो रहा है, इसका लिखित इतिहास भी है। सिंधिया स्टेट के रिकॉर्ड में अंकित है कि वर्ष 1944 में प्रदेश के किसानों को बीज की आपूर्ति की गई थी। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ राईस रिसर्च, हैदराबाद ने अपनी 'उत्पादन उन्मुख सर्वेक्षण रिपोर्ट' में दर्ज किया है कि मध्यप्रदेश में पिछले 25 वर्ष से बासमती चावल का उत्पादन किया जा रहा है।
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सीएम ने आगे कहा कि पंजाब और हरियाणा के बासमती निर्यातक मध्यप्रदेश से बासमती चावल खरीद रहे हैं। भारत सरकार के निर्यात के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं। भारत सरकार वर्ष 1999 से मध्यप्रदेश को बासमती चावल के ब्रीडर बीज की आपूर्ति कर रही है। पाकिस्तान के साथ APEDA के मामले का मध्यप्रदेश के दावों से कोई संबंध नहीं है क्योंकि यह भारत के GI Act के तहत आता है और इसका बासमती चावल के अंतर्देशीय दावों से इसका कोई जुड़ाव नहीं है।

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meena

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